जैसे क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का पसंदीदा शॉट स्ट्रेट ड्राइव था सौरव गांगुली का कवर ड्राइव था और राहुल द्रविड़ का फ्लिक शॉट था, वैसे ही भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का पसंदीदा शॉट ‘हेलीकाप्टर शॉट’ है.
विश्व के इकलौते अंतराष्ट्रीय बल्लेबाज ‘हेलीकाप्टर शॉट’ खेलने वाले
क्रिकेट के अन्य शॉट तो कई अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी खेलते हुए नजर आते है, लेकिन अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘हेलीकाप्टर शॉट’ एक ऐसा शॉट है जिसकी उत्पति खुद भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने की है और वही अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी है. जो अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में ये शॉट खेलते हुए नजर आते है.
लेकिन बच्चों को नहीं खेलने की दी सलाह
भले ही भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का पसंदीदा शॉट ‘हेलीकाप्टर शॉट’ है, लेकिन भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट खेलने वाले उभरते हुए बच्चों को ‘हेलीकाप्टर शॉट’ ना खेलने की सलाह दी है, क्योंकि उनका मानना है, कि बच्चों की इस शॉट को खेलते हुए चोटिल होने की ज्यादा संभावना है. धोनी ने बच्चों को यह सलाह दुबई में अपनी नई क्रिकेट आकदमी खोलने के मौके पर दी है.
‘हेलीकाप्टर शॉट’ को खेलते हुए बच्चों का चोटिल होने का खतरा
धोनी ने दुबई में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस शॉट की बच्चों को सलाह देते हुए कहा, “‘हेलीकाप्टर शॉट’ एक ऐसी चीज है जो मैंने सड़क पर टेनिस गेंद से क्रिकेट खेलने के दौरान सीखी है. यह मुश्किल है, क्योंकि टेनिस गेंद से क्रिकेट खेलने से बल्ले के निचले हिस्से से भी गेंद अच्छे से हिट हो जाती है और काफी दूर तक चली जाती है, लेकिन समान्य क्रिकेट में लैदर की गेंद से इसे बल्ले के मध्य होना चाहिए, इसलिए इसमें काफी मेहनत की जरुरत होती है मैं नहीं चाहता, कि बच्चें ‘हेलीकाप्टर शॉट’ खेले, क्योंकि इसमें वो चोटिल हो सकते है.”
पैसों के लिए नहीं खेलता क्रिकेट
धोनी ने आगे अपने बयान में क्रिकेट के मैदान में अपनी मानसिकता को लेकर कहा,“मै कभी भी अपने देश के लिए पैसों के लिए नहीं खेलता. भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करना मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है, मुझे हमेशा लगता है, कि आपको अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए, मैं परिणाम के बारे में नहीं सोचता हूं सिर्फ अपनी क्षमता के अनुसार अच्छा करने की ओर देखता हूं, मैं सिर्फ परिस्थिति को देखता हूं और सोचता हूं, कि उस समय क्या करना सही है.
जब भी हमारी टीम को 10 रन या 14 या 5 रन चाहिए होते है, तो मैं अपनी टीम के लिए पूरी कोशिश करता हूं, लेकिन ऐसे नहीं है, कि आपको यह रन बनाने में हर बार सफलता हाथ लगे कभी-कभी इसमें निराशा भी हाथ लगती है, लेकिन अगर मैंने ईमानदारी से पूरी कोशिश की है, तो मुझे वह परिणाम को भी स्वीकार करना होता है.”
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