भारतीय वनडे और टी ट्वेंटी कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 2007 वनडे विश्वकप में पहले दौर से बाहर होने पर खिलाड़ियों को कैसे गुजरना पड़ा था इसका खुलासा किया हैं.
महेंद्र सिंह धोनी ने कहा, जब हम दिल्ली पहुंचे तब मिडिया और लोगों ने हमे घेर लिया था, उनको ऐसा लगता था, कि खिलाड़ी दुखी नहीं हैं. लेकिन हमे दिल से मजबूत रहना पड़ता हैं तब ही हम अच्छा कर पाते हैं.
2007 के वनडे विश्वकप में बांग्लादेश के खिलाफ हार से भारतीय टीम पहले दौर से बाहर हुई थी, और तब धोनी के घर पर पत्थर फेकें गये थे.
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उस समय जब हम घर लौट रहे थे, तब हम पुलिस की कार में थे. वो रात का समय था और मेरे बगल में वीरेंद्र सहवाग बैठे थे. हम पुलिस वैन में जा रहे थे, और हमारे चारों ओर मीडिया कैमरा लेकर खड़ा था, तब हमे ऐसा लग रहा था कि, हमने कोई बड़ा गुन्हा किया हो, जैसे किसी का खून. हमे तब ऐसे गुजरना पड़ा था.
उसके बाद हम पुलिस स्टेशन गये और हमे हमारे कार से घर पहुंचाया गया. तब मैनें सोच लिया कि, मुझे एक बेहतर क्रिकेटर और एक अच्छा इंसान बनना हैं.
महेंद्र सिंह धोनी ने ये बाते न्यूयॉर्क में अपने उपर बनी फिल्म धोनी द अनटोल्ड स्टोरी के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही हैं. ये फिल्म 30 सितंबर को सिनेमाघरों में रीलीज होगी, और ये फिल्म में महेंद्र सिंह धोनी का पूरा जीवन दिखाया गया हैं.
अमेरिका में महेंद्र सिंह धोनी के फैन्स उनसे मिलकर काफी खुश थे, और धोनी भी उनसे मिलकर खुश नजर आए. महेंद्र सिंह धोनी के साथ वहां पत्नी साक्षी धोनी और फिल्म के प्रोड्यूसर अरुण पांडेय थे.
धोनी ने कहा, मैनें फिल्म डायरेक्टर निरज पांडेय को बताया था कि, इसमे मेरे जीवन को दिखाया जाए कि, मैं कैसे एक क्रिकेटर बना और ये एक अच्छी स्टोरी हैं.
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धोनी ने कहा, सुशांत सिंह राजपुत के लिए मेरी भूमिका निभाना आसान नहीं रहा हैं. उन्होंने इसके लिए काफी मेहनत की हैं. उन्होंने मुझसे मेरे जीवन के बारें में काफी कुछ जाना और फिर ये भूमिका की.
महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि, हर माता पिता खेल को गंभीरता से ले, और अपने बेटे और बेटियों को खेल खेलने दे, तभी आगें जाकर हमे मेडल मिलेंगे.