क्रिकेट के खेल में प्रयोग की जानी वाली गेंद की कीमत में अचानक तेजी से बढ़ोत्तरी आई हैं. लेदर से तैयार की गयी गेंद की कीमत में लगभग एक वर्ष में दोगुनी बढ़ोतरी आई है, जिसका प्रमुख कारण माना जा रहा है कि लेदर की कमी, जिस कारण गेंद बनाने के बिजनेस में काफी नुकसान की खबर भी सामने आ रही है.
लेदर की कमी के कारण गेंद की मांग बढ़ गयी है, लेकिन गेंद की प्राप्त मात्रा बाज़ार में उपलब्ध नहीं हैं लेदर की कमी आने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से गाय कटान पर प्रतिबंध लगाना और लेदर का निर्यात ज़्यादा होना है.
पिछले कुछ समय में कुछ संगठनों ने बीफ और अन्य पशुओं के कटान और उनके मीट पर प्रतिबंध लगाने के लिए जगह-जगह प्रदर्शन और हंगामा किया है कुछ स्थानो पर तो प्रदर्शन ने हिंसक रूप में धारण किया हैं. इस तरह की घटनायो के बाद लेदर की गेंद बनाने के बिजनेस में तेजी से गिरावट आई हैं. पशुओ के कटान पर प्रतिबंध के बाद लेदर की कीमत में तेजी से बढ़ोत्तरी आई है. बॉल बनाने वाले बिजनेसमैन अब लेदर बाहर से आयात कर रहे जिस कारण उन्हें दोगुनी कीमत देनी पड़ रही हैं.
लेदर बिजनेसमैनो की अब लेदर की कीमत निकलने में भी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही हैं. बॉल बनाने वाले बिजनेसमैन को जो लेदर पहले 700 रूपए में मिल जाता था, अब उसके लिए 1800 रूपए देने पड़ रहे है, ऐसे में गेंद की कीमत दोगुनी होना लाजमी हैं.
लेदर की गेंद बनाने वाले मजबूर भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, मजदूरो का कहना है कि लेदर की प्राप्त मात्र नहीं होने के कारण उनमें काम में कमी आई है, जिस कारण उनकी आय भी बेहद ज्यादा असर पड़ा हैं.
दूसरी ओर स्पोर्ट्स मार्किट से यह भी पता चला कि बारिश के दिनों में लेदर आसानी से सुख नहीं पता जिसके कारण गेंद का उत्पादन भी कम हो गया हैं. कीमत बढ़ने का एक कारण यह भी हैं.