शनिवार 20 मार्च को भारत और इंग्लैंड (INDvsENG) के बीच खेले गए 5 मैचों की सीरीज़ के आखिरी और पांचवां मैच में भारतीय टीम ने मेहमान इंग्लैंड को 36 रन से हरा कर सीरीज़ को भी 3-2 से अपने नाम किया. इस टी20 सीरीज़ के पहले मैच में इंग्लिश टीम ने टेस्ट सीरीज़ की हार के बाद वापसी करते हुए 8 विकेट से जीत दर्ज की थी.
0-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय टीम ने दूसरे मैच में जीत दर्ज कर 1-1 की बराबरी तो की लेकिन तीसरे मैच में एक बार फिर इंग्लिश टीम ने 8 विकेट से जीत दर्ज कर 2-1 से बढ़त हासिल की. लेकिन चौथे मैच में इंग्लिश टीम भारत के सामने पूरी तरह बेअसर नज़र आई जिसका खामियाज़ा 3-2 की सीरीज़ हार से भुगतना पड़ा.
इसी सिलसिले में इस लेख में हम आकलन करते हुए इस मसले पर गौर करेंगे कि सीरीज़ में 2-1 की शुरुआती बढ़त को सीरीज़ जीत में न तब्दील न कर पाना इयान मॉर्गन (Ian Morgan) की कप्तानी वाली इंग्लिश टीम के लिए इस साल होने वाले टी20 विश्व कप (ICC T20 World Cup) से पहले कितना चिंताजनक है.
महज़ 1 खिलाड़ी से पूछा गया पूरी टीम के हिस्से का सवाल…
अहमदाबाद में भारत के खिलाफ़ टी20 सीरीज़ के चौथे मैच में मिली हार के बाद एक सवाल जो पूरी इंग्लिश टीम पर उठाया जाना चाहिए था उस सवाल को केवल तेज़ गेंदबाज़ मार्क वुड (Mark Wood) तक ही महदूद कर दिया गया. सवाल यही कि सीरीज़ में 2-1 की बढ़त के बाद 3-2 के फ़ासले से सीरीज़ हार सवालों कितना बड़ा फ़्रेम तैयार करती है?
खैर, चीज़ों को अगर इंग्लिश पक्ष के नज़रिए से देखें तो 2018 के बाद किसी टी20 अंतरराष्ट्रीय सीरीज़ में इंग्लैंड की ये पहली हार है. भारत के खिलाफ़ मौजूदा सीरीज़ की भी बात करें तो इंग्लैंड की ने जो 2 मैच जीते वो 8 विकेट के भारी अंतर से जीते. इसके अलावा अन्य 3 मैचों में मिली हार से भी मॉर्गन एंड कंपनी को टी20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए काफ़ी कुछ सीखने को होगा.
समय रहते इंग्लैंड के लिए बेहद ज़रूरी है अपनी क्रिकेट का मूल्यांकन
लेकिन समान स्तर पर, ये नतीजा इंग्लिश टीम को एक मूल्यांकन और आत्मावलोकन के मुहाने पर भी ला कर खड़ा करता है. ऐसा भी नहीं है कि सीरीज़ के दौरान इंग्लैंड की टीम किसी कमजोर प्लेइंग इलेवन के साथ उतरी थी बल्कि अगर देखा जाए तो कप्तान मॉर्गन और मैनेजमेंट को पूरी टी20 सीरीज़ में ज़्यादा बदलाव करते हुए नहीं देखा गया. जिसकी वजह ये भी थी कि टीम काफ़ी मजबूती से खेल रही थी.
लेकिन आखिरी दो मैचों में जिस तरह से इंग्लिश टीम लक्ष्य का पीछा करने में नाक़ाम रही वो टीम की दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करने की क्षमता पर सवाल उठाता है. जबकि इससे पहले 9 में से 8 बार इंग्लिश टीम ने 8 बार सफ़ल रन चेज़ किया था. लेकिन भारत में इस साल होने वाले टी20 विश्व कप से पहले भारत में ही ये नाकामी इंग्लिश थिंक टैंक की मेहनत ज़रूर बढ़ाने वाली है.
इसके अलावा भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) और शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) की गेंदबाज़ी ने ये भी साबित किया कि इंग्लैंड के हिटिंग बल्लेबाज़ दूसरी पारी में मैच के स्लॉग फ़ेज़ में पेस के सामने स्विंग देती पिचों पर चोक कर सकते हैं.
हक़ीक़त के कितने करीब है मॉर्गन की लीड़रशिप एप्रोच?
मैच के बाद इंग्लिश स्किपर मॉर्गन बेशक कितना ही कह लें कि इस सीरीज़ से ले जाने के लिए काफ़ी पॉज़िटिव्स हैं लेकिन ये मसला उन्हें भी परेशान कर रहा होगा कि उनके बल्लेबाज़ भारत की स्पिन पिचों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. वो भी ऐसे अहम समय में जब कुछ समय बाद इस टीम को भारत की इन्हीं विकेट्स पर टी20 विश्व कप खेलना है.
कप्तान मॉर्गन इसी सिलसिले में ये भी कह चुके हैं कि,
“यहाँ आने से पहले एक चीज़ जिसे हमारे लिए चुनौती का मतलब ऐसी टर्निंग विकेट्स पर खेलना था जिनके नेचर से हम वाकिफ़ ही नहीं है और वजह साफ़ है अक्सर हमें ऐसी विकेट्स पर खेलने का मौका नहीं मिलता.”
इंग्लिश लीड़र के बयान की तस्दीक इंग्लैंड के अगले 6 टी20 मैचों का शेड्यूल भी करता हुआ नज़र आता है जो कि इस टीम को अपनी घरेलू परिस्थितियों में ही जून-जुलाई के महीने मेंं पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ़ खेलने हैं.
मैनेजमेंट और कप्तान को सवालों का सामना करना होगा
इयान मॉर्गन एक बेशक एक अच्छे कप्तान और बल्लेबाज़ हैं लेकिन उनको समझना होगा कि वो डिप्लोमेट नहीं है. इसलिए टर्निंग विकेट्स वाले बयान से वो आने वाले विश्व कप के संदर्भ में 2-1 की बढ़त के बाद मिली 3-2 की सीरीज़ पर उठ रहे सवालों से मुँह नहीं फ़ेर सकते.
इसलिए इंग्लैड (England) के मैनेजमेंट और खुद कप्तान को भी इस मसले पर विचार करना होगा कि एक सीरीज़ की बेहतर शुरुआत को विनिंग रिज़ल्ट में एक्ज़ैक्यूट न कर पाना टीम के विश्व कप कैंपेन पर किस हद तक असर डाल सकता है.