भारतीय टीम और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी का चौथा और आखिरी टेस्ट मैच ब्रिसबेन के गाबा मैदान पर खेला जा रहा है. पूरी टेस्ट सीरीज़ के दौरान भारतीय टीम को अपने खिलाड़िय़ों को लगी चोटों की वजह से भारतीय टीम मैनेजमेंट को अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
लेकिन इन तमाम परेशानियों के बीच भारतीय टीम के लिए एक अच्छी ख़बर ये भी रही कि कई नए सितारे इस सीरीज़ के दौरान उभर कर सामने आए हैं. उन्हीं में से एक नाम है तमिलनाडु के 21 वर्षीय नौजवान क्रिकेटर वॉशिंगटन सुंदर का. सीरीज़ के चौथे मैच में अपने टेस्ट डेब्यू के दौरान ही बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले सुंदर के पिता ने भी उनको लेकर एक बड़ा खुलासा किया.
वॉशिंगटन सुंदर के टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत
भारतीय टीम के सीनियर ऑलराउंडर रविचंद्रन को कमर में दर्द होने की वजह से सीरीज़ के चौथे टेस्ट से बाहर बैठना पड़ा. इसलिए उनकी जगह प्लेइंग इलेवन में वॉशिंगटन सुंदर को अपना टेस्ट डेब्यू करने का मौका दिया गया. अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने क्रिकेट एक्सपर्ट्स को अच्छा खासा प्रभावित किया है.
गेंदबाज़ी के तौर पर पहचान बनाने वाले वॉशिंगटन सुंदर ने ऑस्ट्रेलिया के बेहतरीन पेस अटैक के सामने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 144 गेंदों पर 62 रनों की शानदार पारी खेली. इसके अलावा उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के दौरान गेंद से भी काफ़ी बेहतरीन क्रिकेट का प्रदर्शन किया.
सुंदर एक नैचुरल ओपनिंग बल्लेबाज़ है – एम सुंदर
तमिलनाडु के इस युवा क्रिकेटर के डेब्यू मैच में ही शानदार प्रदर्शन के बाद पिता ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम “वॉशिंगटन” क्यों रखा. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि सुंदर एक नैचुरल ओपनिंग बल्लेबाज़ हैं और नई गेंद से काफ़ी बेहतर तरीके से रन बनाने में सक्षम हैं.
पिता एम सुंदर ने अपने बेटे के प्रदर्शन पर अपनी राय रखते हुए कहा कि,
“वो एक नैचुरल ओपनिंग बल्लेबाज़ है और उसने घरेलू क्रिकेट में भी नई गेंद से काफ़ी रन बनाए हैं. चेन्नई लीग में वो सबसे युवा क्रिकेटर है जिसने फ़र्स्ट-डिवीज़न लीग में शतक लगाया. महज़ 14 साल की उम्र में ही सुंदर ने सलामी बल्लेबाज़ी करे हुए शतक बनाया था.”
पिता ने बताई “वॉशिंगटन” नाम की वजह
इसके बाद वॉशिंगटन सुंदर के पिता ने उनका नाम “वॉशिंगटन” रखने की वजह भी बताई. इस मसले पर न्यूज़ एजेंसी IANS से बात करते हुए पिता एम सुंदर ने कहा कि,
“मेरे मेंटर का नाम वॉशिंगटन था. उन्होंने मेरे पूरे करियर में मेरी हमेशा मदद की है. इसलिए उनका शुक्रिया अदा करते हुए मैंने अपने बच्चे का नाम उनके नाम पर रखा.”
बता दें कि सुंदर की शार्दुल की साथ हुई 123 रन की शानदार शतकीय साझेदारी की वजह से ही भारतीय टीम आखिरी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ वापसी करने में सफ़ल रही. वॉशिंगटन के पिता ने ये भी कहा कि अपने बेटे का पहला टेस्ट शतक पूरा होने से उन्हें थोड़ी निराशा भी हुई.