भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अक्सर बोल्ड और असामान्य फैसले लेने के लिए जाना जाते है और वे बहुत सफल भी हुए. उनकी कप्तानी में एक नयापन देखने को मिला जोकि उन्हें दूसरों से अलग करता है. आइये देखते हैं धोनी के कुछ साहसिक निर्णय जोकि ख़ास रहे.

5. खुद धोनी का नंबर 4 पर आने का फैसला
जैसे ही वह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बनाये गए उन्होंने फिनिशर के तौर पर खेलने की अपनी भूमिका तय की और वह इसमें काफी सफल भी रहे. वनडे के इतिहास में सबसे अच्छे फिनिशर के रूप में धोनी ने अपनी जगह पुख्ता की. लेकिन बोझ अब थोड़ा कम हो गया है क्योंकि वह केवल एकदिवसीय टीम की कप्तानी कर रहे थे और टेस्ट से सन्यास ले चुके थे.तो धोनी ने हाल ही में बांग्लादेश श्रृंखला में No.4 बल्लेबाज के रूप में खेलने का फैसला किया. लेकिन यह निर्णय उतना सफल नहीं हुआ लेकिन निश्चित रूप से यह कदम भविष्य में आने वाले मैचों में एक महान निर्णय साबित हो सकता है.

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4. युवा प्रतिभाओं के साथ बने रहे
धोनी हमेशा से ही नए व् युवा खिलाडियों को प्रोत्साहन देने में पीछे नहीं रहे उन्हें हर कदम पर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया .प्रमुख उदाहरण के तौर पर विराट कोहली , रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन हैं.2011 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में विफलताओं की श्रृंखला के बाद कोहली को जारी रखने के धोनी के निर्णय ने कमल किया. एडिलेड में कोहली ने शतक जड़ा और भारतीय टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की की. वहीँ रविचंद्रन अश्विन किसी भी प्रारूप में धोनी के लिए ट्रम्फ कार्ड है और खेल की हर महत्वपूर्ण स्थितियों में बेहतरीन भूमिका निभाता है.

3. चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में इशांत शर्मा का जादू
बारिश से प्रभावित मैच में भी भारत ने 20 ओवरों में एक सही स्कोर खड़ा किया .जब इंग्लैंड बल्लेबाज़ी करने आया तो यादव ने जल्द ही कप्तान का विकेट ले लिया उसके बाद इयोन मोर्गन और रवि बोपारा ने एक अच्छी साझेदारी खेली और इंग्लैंड को बढ़िया स्थिति में ला दिया. तब धोनी ने इशांत शर्मा को गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया जोकि पहले काफी महंगा पड़ा था लेकिन इशांत ने तुरंत लगातार दो विकेट लेकर मोर्गन और बोपारा को आउट कर दिया .धोनी इसी तरह अपनी चालों के साथ खेल रहे थे और अंत में जीत हासिल की.

2. 2007 के विश्व ट्वेंटी 20 में जोगिंदर शर्मा की हीरोगिरी
जोगिंदर शर्मा अक्सर विश्व ट्वेंटी -20 के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ अपने अंतिम ओवर के लिए याद किया जाएगा जहाँ is खिलाडी ने भारत की जीत के लिए जबरदस्त गेंदबाज़ी की. धोनी ने बहुत पहले विश्व ट्वेंटी -20 के फाइनल में भारत को पहँचाकर एक कप्तान के रूप में अपने पहले कार्यकाल में ही सभी को प्रभावित कर दिया था. उस दौरान धोनी के दिमाग में कई सवाल थे किफाइनल के अंतिम ओवर में अनुभवी हरभजन को लाया जाया या जोगिन्दर को .तब धोनी ने एक बोल्ड कदम उठाया और risk लेते हुए नए युवा खिलाडी जोगिन्दर को मौका दिया जोकि सही निर्णय साबित हुआ.

1. धोनी ने 2011 एकदिवसीय विश्व कप में खुद को किया प्रमोट
सभी फैसलों में से ये एक बहुत बढ़िया फैसला रहा . भारतीय टीम पर बहुत दबाव था क्योंकि वे अपनी सर ज़मीन पर खेल रहे थे और 28 सालों से विश्व कप नहीं जीते थे. इंग्लैंड के खिलाफ एक खेल टाई और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हार के रूप में भारत ग्रुप में कुछ ख़ास प्रभावी नहीं था.उस दौरान बल्ले और गेंद दोनों के साथ बढ़िया प्रदर्शन के रूप में युवराज सिंह सचिन तेंडुलकर के साथ भारत के लिए एक मज़बूत खिलाडी था. लेकिन धोनी विश्व कप के दौरान एक अर्धशतक भी नहीं बना पाये थे तब सबसे महत्वपूर्ण फाइनल में धोनी ने नंबर 5 बल्लेबाज के रूप में युवराज सिंह की जगह ली और विरोधी श्रीलंका टीम का मुकाबला किया और गौतम गंभीर के साथ मिलकर भारत को अच्छी स्थिति में पहुँचाया और जीत का छक्का जड़ा. यह निश्चित रूप से धोनी के लिए एक भारी दबाव की स्थिति में अपने कैरियर में लिया गया शीर्ष साहसिक निर्णय में से एक रहा होगा.

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