83 वर्षों के इतिहास के दौरान जब ऐसा लग रहा था कि सब ख़त्म हो गया तब भारतीय क्रिकेट टीम ने शानदार वापसी की.
इसे समझने के लिए आपको दो उदहारण देते हैं…
भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, कोलोंबो -ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2002
262 के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका 38 ओवरों में 191 /1 पर था. हरभजन की जादुई गेंदबाज़ी और वीरेंदर सेहवाग व् युवराज के जोंटी रोड्स का बढ़िया कैचलेने के बाद भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 10 रनों से हरा दिया. शानदार मैच था.
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया,दूसरा टेस्ट, 2001 , कोल्कता
ऑस्ट्रेलिया ने पहली इनिंग में 445 रन बनाये. बाद में भारत बल्लेबाज़ी करने उतरा. वी वी एस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की जोड़ी ने 376 रन बनाये और टीम के कुल 657 रन बनाने में मदद की. हालाँकि हालात ऐसे नहीं थे कि भारत इस स्थिति में पहुँच पाता. मैच के अंत में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 171 रनों से मात दे दी .
इन उदाहरणों के बाद एक नज़र 1983 विश्व कप में इतिहासिक वापसी पर डालते हैं….
विष कप में सभी मैच महत्वपूर्ण होते हैं. अगर एक भी हार गए तो टीम पर दबाव पड़ने लगता है. ऐसा ही कुछ “भारत बनाम जिम्बावे” के दौरान हुआ. मैच का तख्ता ही पलट गया.
भारत ने केवल 17 रनों पर ही अपने बेहतरीन 5 बल्लेबाज़ गवा दिए. सुनील गावस्कर और सृक्कांथ अपना खत भी नहीं खोल पाये. लेकिन कपिल ने कमाल ही कर दिया. रॉजर बिन्नी , मदन लाल और किरमानी की मदद से कपिल देव ने 138 गेंदों पर 175 रन बटोरे. जिसमे 16 चौके और 6 छक्के लगाये गए. और 60 ओवरों में टीम का स्कोर 266 /8 पर ला दिया.
कपिल की:
बिन्नी के साथ 60 रनों की साझेदारी रही
मदन लाल के साथ 62 रनों की साझेदारी रही
किरमानी के साथ 126 रनों की साझेदारी रही
और यशपाल के साथ 8 रनों की साझेदारी रही
कपिल देव के जबरदस्त प्रदर्शन से टीम में उत्साह व् उम्मीद जग उठी और अंत में भारत ने जिम्बावे को 31 रनों से हरा दिया.
भारतीय बल्लेबाज़ी |
रन |
चौके |
छक्के |
स्ट्राइक रेट |
गावस्कर |
0 |
0 |
0 |
0 |
सृक्कांथ |
0 |
0 |
0 |
0 |
एम अमरनाथ |
5 |
1 |
0 |
25.00 |
एस एम पाटिल |
1 |
0 |
0 |
10.00 |
यशपाल शर्मा |
9 |
1 |
0 |
32.00 |
कपिल देव |
175 |
16 |
6 |
126.81 |
बिन्नी |
22 |
2 |
0 |
45.83 |
आर जे शास्त्री |
1 |
0 |
0 |
16.66 |
मदन लाल |
17 |
1 |
0 |
43.58 |
किरमानी |
24 |
2 |
0 |
42.85 |
अन्य |
12 |
– |
– |
– |
कुल |
266 |
– |
– |
– |