भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भारत के सबसे सफलतम कप्तानों में से एक माने जाते है. उनके क्रिकेट करियर में कई उतार-चढ़ाव वाले पल भी आये और उन्होंने कई बार भारतीय टीम में वापसी भी की थी. उनका क्रिकेट करियर विवादों से भी भरा रहा था उनका कोच ग्रेंग चैपल से भी एक बड़ा विवाद हो गया था.
इसी बीच गांगुली ने दिया बड़ा बयान
इसी बीच भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी किताब के जरिये एक बड़ा खुलासा किया है जिसमे गांगुली ने लिखा है, कि जब उन्हें ग्रेंग चैपल ने भारतीय टीम से बाहर कर दिया था तब वह वापसी की बहुत कोशिश कर रहे थे, लेकिन जब वह टीम में वापसी नहीं कर पा रहे थे तो उनके पिताजी ने उन्हें क्रिकेट से संन्यास लेने की सलाह दे डाली थी.
गांगुली ने अपनी पुस्तक में किया इस बात का जिक्र
गांगुली को जब टीम में नहीं चुना जा रहा था और उन्हें डोमेस्टिक क्रिकेट से भी बाहर कर दिया गया था. तो गांगुली ने कहा, कि उसके बाद मैंने टीम के कप्तान अनिल कुंबले को फ़ोन किया और अपने को बाहर करने का कारण जानने की कोशिश की.
गांगुली ने अपनी पुस्तक में इस बारे में लिखा, “मैंने उनसे पूछा क्या मैं अब अंतिम एकादश में खेलने लायक नहीं रह गया, तो इसके जवाब में कुंबले ने मुझसे कहा, इस फैसले से पहले दिलीप वेंगसरकर की अध्यक्षता वाली चयनसमिति ने उनसे मशविरा नहीं किया.”
गांगुली ने आगे अपनी पुस्तक में लिखा, “मैंने उनसे कहा क्या आपकों लगता है मैं अभी भी खेल सकता हूं, तो कुंबले ने इसका जवाब हाँ में दिया था. उनके इस जवाब से मुझे बहुत राहत मिली थी और मैंने फिर चंडीगढ़ में जेपी मेमोरियल ट्रॉफी में हिस्सा लिया था.”
आपकों बता दे, कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अभ्यास मैच में खेलने वाली टीम में भी जगह मिली थी. इसके बाद जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारतीय टीम चुनी गई, तो उस टीम में गांगुली को भी जगह मिली थी.
पिता को जब बाद में संन्यास लेने की बात बताई तो हैरान थे
सौरव गांगुली ने लिखा है, कि “बोर्ड अध्यक्ष एकादश में युवा खिलाड़ियों को रखा जाता है और उनका ट्रायल लिया जाता है, लेकिन वह ट्रायल मुझे 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने के बावजूद देना पड़ा. मैं इस बात को लेकर बहुत गुस्से में था, तब मैंने पिताजी से कहा, कि मुझे अब क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए, अब बहुत हो चुका है. मेरे पिताजी थोड़ा हैरान थे इससे पहले ग्रेंग चैपल ने मुझे टीम से बाहर रखा और मैं वापसी के लिए संघर्ष कर रहा था तब वह चाहते थे कि मैं संन्यास ले लू, क्योंकि उनसे अपने बेटे का संघर्ष नहीं देखा जा रहा था.”
गांगुली ने आगे अपनी पुस्तक में लिखा है, “तब मैंने उनका विरोध किया था. कहा पिताजी आप इंतजार करों. मैं वापसी करूँगा. मुझमे अब भी क्रिकेट बाकि है, इसलिए उन्होंने जब तीन साल बाद उसी व्यक्ति से संन्यास की बात सुनी तो वह हैरान थे.
वह सोफे में बैठे और उन्होंने मुझसे कहा, सौरव मैं जानता हूं तुम्हारे लिए यह फैसला करना मुश्किल रहा होगा. मैं चाहता हूं की अब तुम्हारें पास जीतने भी मैच है तुम जाओं और जीतों.”