भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में डीसीजन रिव्यु सिस्टम (डी.आर.एस) का प्रयोग किया जा रहा हैं.
आपको बता दे, कि जितनी चर्चा इस टेस्ट श्रृंखला के मुकाबलों को लेकर नहीं हो रही हैं. उससे ज्यादा चर्चा सीरीज में उपयुक्त डी.आर.एस सिस्टम की हो रही हैं. भारत में पहली बार इस प्रणाली का प्रोयग किया जा रहा हैं.
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डी.आर.एस हमेशा से ही भारत में विवादों के सायें में रहा हैं. भारत को दो-दो विश्व कप जीता चुके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी तो कभी भी इस सिस्टम के हक में नहीं थे.
भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी डी.आर.एस प्रणाली को लेकर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा हैं, कि-
”ऐसा नहीं हैं, कि हमारी भारतीय टीम पहली बार डी.आर.एस सिस्टम का उपयोग नहीं कर रही हैं. टीम 2011के वनडे विश्व कप और 2014 की चैंपियंस ट्राफी में भी इसका प्रणाली का प्रयोग कर चुकी हैं.”
गांगुली कहते है-
”अभी तक टेस्ट सीरीज में भी इसका जितना इस्तेमाल किया गया हैं. वह पूरी तरह कामयाब रहा हैं. आई.सी.सी भी यही चाहती थी, कि भारत इस नियम का प्रयोग करे और ऐसा हो भी रहा हैं. अभी तक इसके बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं.”
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अंत में दादा ने यह भी कहा, कि-
”आगे के मुकाबले मुंबई, चेन्नई और मोहाली के मैदानों पर खेलें जाने वाले हैं. जहाँ इससे भी बढ़िया विकेट मिलने की संभावना हैं. जिसको देखते हुए यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा, कि शायद आने वाले किसी मुकाबले में विराट एक और दोहरा शतक लगा दे.”
टीम इंडिया विशाखापत्तनम टेस्ट के चौथे दिन भी डीआरएस के कारण मुश्किल स्थिति में दिखी, जब दो निर्णय टीम के खिलाफ गए, कप्तान कोहली और टीम मैनेजमेंट को डीआरएस के लिए एक सही रणनीति बनानी होगी, तभी डीआरएस का सफल इस्तेमाल टीम कर सकेगी.