स्विच हिट के अलावा भी बीते कुछ समय में क्रिकेट में काफ़ी बदलाव आए हैं और उन बदलावों के साथ समय-समय पर बहस भी छिड़ती रही है. टी20 क्रिकेट के आने से पहले क्रिकेट अपनी परंपरागत रंगत में ही था, क्रिकेट भी अब फ़ुटबॉल की तरह ही एक तेज़ खेल हो चुका है और नए-नए बदलाव अब इसका बुनियादी हिस्सा बन चुके हैं. बाद में आई टी20 लीग्स ने खेल की गति को पूरी तरह बदल दिया है.बल्लेबाज़ ही नहीं बल्कि गेंदबाज़ों ने भी काफ़ी बदलाव किए हैं जिसमें स्लोअर यॉर्कर्स और कटर्स जैसी गेंदों को एक नई ईजाद कहा जा सकता है. बात बल्लेबाज़ों की करें तो उन्होंने शॉट्स में एक अलग तरह की रचनात्मकता का परिचय दिया है.
बहस का मुद्दा बना “स्विच हिट”
अब जो नई बहस छिड़ी है वो स्विच हिट को लेकर है. नई नस्ल की नए दिनों की क्रिकेट के इस आविष्कारी शॉट को लेकर कई दिग्गजों ने अपनी-अपनी राय ज़ाहिर की है. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज खिलाड़ियों (इयान चैपल और शेन वॉर्न) ने इस शॉट को “गेंदबाज़ों के लिए अन्याय” बताया है.
इन दोनों खिलाड़ियों का मानना है कि अगर गेंदबाज़ अंपायर को अपनी गेंदबाज़ी का तरीका बताता है तो बल्लेबाज़ का भी ये नैतिक कर्तव्य बनता है कि वो भी अंपायर को अपना बल्लेबाज़ी का तरीका बताए.
शॉट के समर्थन में सौरव गांगुली
ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों के विरोध के बाद पूर्व भारतीय कप्तान और हालिया बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने स्विच हिट का समर्थन किया है. गांगुली ने कहा कि,
“ये एक हिम्मत के साथ खेला जाने वाला शॉट है. आप देखें कि खेल वक़्त के साथ आगे बढ़ा है. तो मैं इस नए और इनोवेटिव शॉट को बल्लेबाज़ों से वापस नहीं लेना चाहूंगा. इस तरह के शॉट खेलने के लिए आपको एक हिम्मत और ताक़त चाहिए. टाइमिंग और पैरों की मूवमेंट के अलावा ऐसी कई स्किल्स होती हैं जो इस शॉट को खेलने के लिए चाहिए.
केविन पीटरसन ने पहली बार ये शॉट खेल कर क्रिकेट जगत का “स्विच हिट” से परिचय कराया था. इसके बाद इस फ़ेहरिस्त में डेविड वॉर्नर का नाम आता है. अगर आप अच्छी तरह से खेलें तो ये वाकई में एक बेहतरीन शॉट है.”
क्या कहा था चैपल ने?
गांगुली के समर्थन से पहले स्विच हिट को गेंदबाज़ों के लिए अन्याय बताते हुए इयान चैपल ने कहा था कि,
“खेल के दौरान गेंदबाज़ ही अंपायर को क्यों बताएं कि वो किस तरह गेंदबाज़ी करने वाले हैं. अगर एक खिलाड़ी दाँए हाथ के बल्लेबाज़ के तौर पर मैदान में उतरता है तो मैं फील्डिंग टीम का कप्तान होने के नाते, गेंद डलने से पहले दाँए हाथ के बल्लेबाज़ के हिसाब से ही फ़ील्डिंग लगाउंगा.
फिर बल्लेबाज़ अचानक बाँए हाथ से शॉट मार दे तो इस बात की क्या तुक है. बल्लेबाज़ के बाँए हाथ से खेलने की मुख्य वजह होती है कि वो फ़ील्ड प्लेसमेंट का फ़ायदा उठा सके. मुझे अच्छा लगेगा अगर प्रशासक इसमें कुछ बदलाव कर क्रिकेट को गेंदबाज़ों के लिए बेहतर करें.”