न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में करोड़ो भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को उम्मीदे थी, कि एमएस धोनी अपनी शानदार बल्लेबाजी से भारतीय टीम को मैच जीतायेंगे, लेकिन वह ऐसा करने में नाकाम रहे थे. भारतीय टीम को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों 18 रन से हार का सामना करना पड़ा था और भारतीय टीम का विश्व कप सफर खत्म हो गया था.
सेमीफाइनल मैच में नंबर-7 पर बल्लेबाजी करने आये धोनी
एमएस धोनी सेमीफाइनल मैच में नंबर-7 पर बल्लेबाजी करने आये थे, जो काफी हैरान करता है. भले ही यह फैसला कप्तान और कोच का हो, लेकिन वह पिछले 15 साल से भारतीय टीम के लिए खेल रहे हैं. अगर वह चाहते, तो कप्तान और कोच से बात करके खुद को पहले भेजने के लिए बोलते और 2 विकेट जल्दी गिरने के बाद टीम की जिम्मेदारी ले सकते थे.
उनसे पहले ऋषभ पंत, दिनेश कार्तिक और हार्दिक पांड्या आये थे और तीनों ही बल्लेबाजों ने काफी खराब शॉट्स खेलकर अपने विकेट गंवा दिए थे. जिससे भारतीय टीम गहरे संकट में आ गई थी और धोनी के आने तक भारतीय टीम की हार लगभग निश्चित हो गई थी.
धोनी को खुद आकर उठानी चाहिए थी जिम्मेदारी
महेंद्र सिंह धोनी के बल्लेबाजी क्रम पर गौतम गंभीर ने टीवी 9 भारतवर्ष से बात करते हुए कहा, “माही चाहते तो वह नंबर-4 या 5 पर उतर सकते थे, क्योंकि वह अनुभवी खिलाड़ी हैं और उनकी बात रवि शास्त्री और विराट भी मानते हैं, ऐसे में धोनी को खुद आकर यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए थी जैसे उन्होंने 2011 विश्व कप में किया था और नंबर पांच पर उतरे थे. अगर धोनी जाते तो टीम यह मैच जीत सकता था, क्योंकि वह अपने साथी खिलाड़ी को खिलाना जानते थे.”
भारत वहीं हार गया था, जब एमएस धोनी के नंबर-7 पर खेलने का फैसला हुआ
गौतम गंभीर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, “मुझे लगता है, कि यह मैच भारतीय टीम वहीं हार गया था, जब एमएस धोनी के नंबर-7 पर खेलने का फैसला हुआ था. आप ऐसी मुश्किल परिस्थिति में 350 मैच खेले अनुभवी खिलाड़ी को छिपाकर, 8 मैच खेले ऋषभ पंत, 50 मैच खेले हार्दिक पांड्या को नहीं भेज सकते हैं.”