ना केवल भारत बल्कि पूरा विश्व आतंकवाद की एक नासूर चुनौती का सामना कर रहा है जिसका हल फिलहाल तो नहीं निकल पा रहा है। कई देश आतंकवाद देश घोषित हो चुके हैं कुछ उसी तरह से वैश्विक स्तर पर अब पाकिस्तान पूरी तरह से आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में फंसता जा रहा है।
पाकिस्तान को विकास के नाम पर मिलती है विदेशी मदद
पाकिस्तान विश्व के उन देशों में शामिल हो रहा है जहां कई आतंकवाद कैंप चलाए जा रहे हैं यानि भले ही पाकिस्तान आतंकवाद में अपनी भागीदारी होने से तो इनकार करता है लेकिन एक नहीं कई बार उनकी पोल खुल चुकी है।
अब तो पाकिस्तान का आतंकवाद को बढ़ावा देने की बात से पर्दा पूरी तरह से उठ चुका है। पाकिस्तान को कई देशों से शिक्षा, चिकित्सा और कई विकास के कामों के लिए सहायता के रूप में अरबों डॉलर तो मिल रहे हैं।
लेकिन पाकिस्तान इन पैसों से करता है टैरर फडिंग
लेकिन पाकिस्तान है कि इन विदेशी सहायता का गलत तरीके से उपयोग कर रहा है। जिसमें सबसे ज्यादा शर्मनाक काम पाकिस्तान टेरर फंडिंग के रूप में कर रहा है। पाकिस्तान की जमीं से कई आतंकी संगठन चलाए जा रहे हैं जिन्हें शक के रूप में देखा जा रहा है कि पाकिस्तान पैसे मुहैया करवाता है।
साल 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को विकास के लिए सहायता के रूप में करीब 50 मिलियन डॉलर की राशि प्रदान की। वैसे ऑस्ट्रेलिया ने ये राशि विकास के लिए दी लेकिन शक है कि इस तरह से मिले पैसों से ही पाकिस्तान टैरर फंडिंग करता है।
गौतम गंभीर का ऑस्ट्रेलिया से पाकिस्तान की मदद ना करने का अनुरोध
ऐसे में आतंकवादियों के शिकार कई निर्दोष लोगों के मारे जाने के बाद आवाज बुदंल हो रही है कि पाकिस्तान को इस तरह से मदद बंद की जाए। क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी ऑस्ट्रेलिया से अनुरोध किया है कि वो पाकिस्तान की किसी तरह की सहायता को बंद कर दें।
I’d urge each and every country to stop aids to Pakistan and most of all my second most favoured cricketing nation, Australia. India fears that your dollars are not being used for right causes #StopAidToPak https://t.co/HjfHmibUh3
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) March 14, 2019
गुरुवार को न्यूजीलैंड में हुए आतंकी हमलें के बाद गौतम गंभीर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “मैं प्रत्येक देश से आग्रह करता हूं कि वो पाकिस्तान को सहायता करना छोड़ दे। खासकर क्रिकेटिंग देश ऑस्ट्रेलिया को। भारत को डर है कि इन डॉलर का उपयोग सही कारणों के लिए नहीं किया जा रहा है।“
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