भारतीय क्रिकेट टीम का ऑस्ट्रेलिया से जब भी कभी कोई सीरीज खेली गई है उसमें किसी ना किसी तरह से मतभेद देखा जाते हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के अब तक के इतिहास में कई ऐसी सीरीज रही है जिसमें विवाद अपने चरम पर रहे हैं।
2008 में गंभीर-वॉटसन के बीच हुआ था कोहनी विवाद
इसी तरह से एक प्रख्यात सीरीज 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई सीरीज रही तो इसी साल के अंत में भारत के दौरे पर आयी ऑस्ट्रेलिया टीम के साथ दिल्ली टेस्ट मैच के दौरान गौतम गंभीर-शेन वॉटसन विवाद बहुत ही बड़ा हुआ था।
दिल्ली में खेले गए इस टेस्ट मैच में गौतम गंभीर के द्वारा शेन वॉटसन को कोहनी मारने के लिए 1 टेस्ट का बैन लगा दिया था जिसको लेकर गौतम गंभीर ने कई सालों बाद इस घटना का जिक्र किया।
गौतम गंभीर ने वॉटसन के साथ हुई घटना का किया जिक्र
लंलनटॉम डॉट कॉम को दिए एक इंटरव्यू में गौतम गंभीर ने इस घटना से लेकर मैच रैफरी के द्वारा बैन करने पूरा जिक्र करते हुए कहा कि
ये बहुत ही दिलचस्प घटना है। मैंने उस समय एल्बो किया था। क्योंकि पूरे मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी मेरे पीछे लगे हुए थे। मैंने एल्बो किया तो मैच रैफरी ने मुझे बुलाया। वो मुझे लगता है कि किसी भी खिलाड़ी की मैच रैफरी के साथ सबसे छोटी मीटिंग हुई थी।
गैरी के कहने पर मैंने स्वीकार की अपनी गलती
जब मैं दिन के खेल के खत्म होने के बाद ऊपर जा रहा था। मैंने उस समय 150 का स्कोर बना लिया था। मैं जब जा रहा था तो सबने बोला कि मैच रैफरी बोले कि आपकी गलती है से इसे स्वीकार मत करना। सारे सीनियर खिलाड़ियों ने यही बोला। क्योंकि ये मेरी पहली या दूसरी मीटिंग थी मैच रैफरी के साथ और वो क्रिस ब्रॉड थे। चाहे कुछ भी हो जाए स्वीकार मत करना जो भी वो बोले कह देना मैं इससे सहमत नहीं हूं। सचिन और सौरव भी यही कह रहे थे। फिर मैं जब कोच गैरी के साथ जा रहा था। तो गैरी ने कहा गौतम तुम स्वीकार कर लेना छोड़ देगा। मैंने कहा आप श्योर हैं। उन्होंने कहा हां वो अच्छा आदमी है छोड़ देगा।”
बैन नहीं होता तो सीरीज में बनता प्लेयर ऑफ द सीरीज
फिर उसने मुझे रूम में बुलाया बिठाया भी नहीं और पूछा क्या आप ये विजुअल देख सकते हैं? क्या आपको अपनी गलती स्वीकार करते हो, मैंने कहा हां सर, तो फिर उन्होंने कहै बैन, धन्यवाद, फिर मैं और गैरी दोनों एक-दूसरे को देख रहे हैं। उसमें मैंने सिर्फ बैन नहीं किया था उसमें मैंने मैन ऑफ द सीरीज मिस की। कैमरी(कार) नई कैमरी आई थी।अगर वो मैच मैं पूरा खेलता तो मैन ऑफ द सीरीज जीतता क्योंकि मैंने उस सीरीज में एक सौ, एक पचास और एक 200 बनाया था। और एक टेस्ट बाकी था। इसके बाद जब मैं ड्रेसिंग रूम में आया तो सबने पूछा तुमने स्वीकार क्यों किया मैंने कहा गैरी ने बोला था, लेकिन बेचारे गैरी कुछ बोल ही नहीं सके। सिर्फ गैरी के कहने पर नहीं तो अगर मैं मना करता तो इनक्वारी चलती और इस बीच मैं अगला टेस्ट खेल जाता।”