बात 1974-75 की है, भारत और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट सीरीज चल रही थी. उस दौरान अंशुमान गायकवाड को पहली बार इंटरनेशनल मैच में मौका मिला था. जब सीरीज खत्म हुई तो टाइगर पटौदी ने गायकवाड को पीने के लिए आमंत्रित किया. गायकवाड इस आमंत्रण से बहुत खुश हुए. उन्होंने सोचा की इतना बड़ा खिलाड़ी मुझे बुला रहा है. वो जब शाम को पहुँचे, तो उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए पूछा, आप ने हम सबको सीरीज के दौरान कोई सुझाव क्यों नही दिया. टाइगर ने गुस्से में कहा, तुम इंडिया के लिए खेल रहे हो तुम्हे पता होना चाहिए, कि क्या करना है. यदि तुम यह नही कर सकते तो मेरा टाइम मत खराब करो. एक इंटरव्यू के दौरान गायकवाड ने ये बाते साझा की.
आज के समय कोच की अधिक आवश्यकता-
भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी और कोच अंशुमान गायकवाड ने कहा कि आज के समय कोच की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है. हमारे समय दो सीरीज के वक्त बहुत फासला होता था. इस दौरान आप अपनी गलतियों को दुरस्त कर सकते थे. लेकिन आज क्रिकेट इतना अधिक है कि आप के पास मौका ही नही. आज इंटरनेशनल क्रिक्रेट के पीछे इंटरनेशनल क्रिकेट लगा हुआ है. ऐसे में आप अपनी गलतियों को खुद और जल्दी दुरस्त नही कर सकते. ऐसे में कोच की भूमिका बढती है.
एक अच्छा क्रिकेटर ही एक अच्छा कोच नही हो सकता है-
अंशुमान गायकवाड ने कहा कि ये बात बेशक है कि क्रिकेट में कोच होना अन्य खेलों से बहुत अलग है. टेस्ट क्रिकेट में आप के पास समय होता है आप हालतों के अनुसार फैसले ले सकते है . लेकिन आप को कोच कि आवश्यकता तो पड़ती ही है. और यह भी है कि आप जीतने बढिया खिलाड़ी होगें उसका यह बिलकुल मतलब नही कि आप उतना ही बढिया तरीके से आप किसी को समझा सके. इस बात के हमारे सामने दो उदाहरण है. डेव व्हाटमोर और जॉन बुचानन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी के तौर पर उतनी ख्याति नही पा सके, लेकिन उन्होंने कोचिंग में अपने झंडे गाड़े.
सचिन, द्रविड़ की कमियों को दूर करने में गायकवाड का हाथ-
पूर्व कोच गायकवाड ने बताया कि एक कोच व्यक्तिगत तौर पर एक खिलाड़ी की कमियों को दूर करना आवश्यक होता है. उन्होंने बताया कि सचिन की आदत थी स्टंप्स के ऊपर से फ्लिक करने की. जिसे मैंने दुरस्त करवाया. उसके बाद वो ज्यादा मिड ऑन की ओर खेलने लगा. इसी तरह राहुल द्रविड़ अधिकतर स्लिप में कैच दे बैठते थे. फिर मैंने उन्हें बॉटम हैण्ड सही करने की सलाह दी. अनिल कुंबले भी बॉल फेकने से पहले ही जम्प कर देते थे जिसमे भी सुधार करवाया.