इंग्लैंड में चल रहे आईसीसी विमेंस वर्ल्ड कप में खेला गया दूसरा सेमीफाइनल मुकाबला कई मायनों में अहम् रहा ख़ास कर भारत के लिहाज से. भारतीय टीम ने 6 बार की विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में जगह बनाई. जबकि भारत महिला विश्वकप के इतिहास में केवल दूसरी बार सेमीफाइनल में पहुचने में सफल हुआ है. इससे पहले 2005 में टीम फाइनल में पहुचने में सफल हुई थी. मुकाबले में 171 रनों की नाबाद तूफानी पारी खेलने वाली हरमनप्रीत कौर के परिवारीजन बहुत खुश है. उनके गाँव में जश्न का माहौल है.
वहां बल्ला गरजा, यहां गरज रहे हैं ढोल-
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए महिला विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल मैच में हरमनप्रीत की 171 रनों की धमाकेदार पारी की बदौलत टीम इंडिया ने 12 साल बाद विश्व कप फाइनल मैच में जगह पक्की की. हरमनप्रीत ने चौथे स्थान पर बल्लेबाजी करते हुए 115 गेंदो में 171 रनों की मैच विनिंग पारी खेली. मैन ऑफ द मैच रही. हरमनप्रीत के घर मोगा, पंजाब में उनकी इस ताबड़तोड़ पारी का जश्न मनाया जा रहा है। उनके सभी दोस्त और रिश्तेदार मिलकर उनके घर के बाहर ढोल बजाकर अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं.
बल्लेबाजी में सहवाग, आक्रामकता में विराट-हरमनप्रीत की इस जीत से घर में जश्न का माहौल है. उनकी बहन हेमजीत ने अपनी बहन की जमकर तारीफ की, उन्होंने कहा, “वह वीरेंद्र सहवाग की तरह बल्लेबाजी करती है और विराट कोहली की तरह आक्रामक है.”हेमजीत ने बताया, “हरमनप्रीत कौर बचपन से ही लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती रही है. रन बनाने की उसकी भूख कभी खत्म नहीं होती है, उसके स्ट्राइक रेट को देखकर ये बात साफ हो जाती है. हरमन हमेशा सकारात्मक रहती है. मैदान पर वह हमेशा विराट कोहली की तरह आक्रामक होती है, लेकिन मैदान के बाहर वह शांत स्वभाव की है। शुरुआती दिनों से ही वह वीरेंदर सहवाग को अपना आदर्श मानती है और उनकी तरह ही बल्लेबाजी करती है.”पिता भी रहे हैं क्रिकेटर-हरमनप्रीत कौर की बहन हेमजीत ने बताया कि हरमनप्रीत के पहले कोच हमारे पिता ही है. पिता हरमंदर सिंह भी अच्छे क्रिकेटर थे। हालांकि वह क्रिकेट जगत में खास सफलता हासिल नहीं कर सके, लेकिन आज अपनी बेटी को इस मुकाम पर देखकर उनका सपना पूरा हो गया है.
सारांश: हरमनप्रीत ने सेमीफाइनल मुकाबले में जिस तरह की बल्लेबाजी की है, वह काबिले तारीफ है. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के सामने वो भी सेमीफ़ाइनल जैसे बड़े मुकाबले में जहां दबाव अलग लेवल का होता है. उनकी यह बल्लेबाजी कपिल देव की याद दिलाती है, जब उन्होंने 1983 वर्ल्डकप में जिम्बाम्बे के खिलाफ 175 रनों की पारी खेली थी. महिला टीम का इस तरह का प्रदर्शन भारत में महिला क्रिकेट को और ज्यादा लोकप्रिय करेगा.