विश्व क्रिकेट की सबसे बड़ी टी-20 क्रिकेट लीग इंडियन प्रीमियर लीग के 12वें सीजन के लिए हाल ही में ऑक्शन प्रक्रिया खत्म हुई। आईपीएल-12 के ऑक्शन में कई युवा खिलाड़ियों पर भी फ्रेंचाइजी ने दांव लगाया। जिसमें से किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने 23 साल के ऑलराउंडर हरप्रीत बरार को अपनी टीम का हिस्सा बनाया।
किंग्स इलेवन पंजाब ने दिया हरप्रीत बरार को मौका
पंजाब से नाता रखने वाले हरप्रीत बरार के साथ एक बड़ी दिलचस्प बात ये है कि वो लगातार 7 साल से आईपीएल में अपनी एन्ट्री के लिए ट्रायल दे रहे हैं लेकिन उन्हें अब जाकर सफलता हाथ लगी है।
हरप्रीत बरार को आखिरकार लंबे इंतजार के बाद आईपीएल में मौका मिल ही गया जब उन्हें 20 लाख की बेस प्राइज में किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने अपने पाले में किया।
7 बार ट्रायल के बाद मौका मिलते ही हरप्रीत के परिवार वाले हुए खुश
हरप्रीत बरार के परिवारजन इस ऑक्शन में अपने बेटे को चुनने पर बहुत ही खुश हैं। हरप्रीत के पिता मोहिंदर को उन्हें अपने बेटे के चयन के बाद अब तक खुशी के आंसू निकल रहे हैं।
हरप्रीत बरार के पिता मोहिंदर ने 26 साल तक भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी हैं। अपने बेटे के आईपीएल में खेलने की खुशी मोहिंदर छिपा ही नहीं पा रहे हैं। उन्होंने इसको लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत की।
हरप्रीत के पिता ने बताया कैसी रही ऑक्शन में चुने जाने के बाद खुशी
मोहिंदर ने कहा कि “जब हरप्रीत राजस्थान के खिलाफ पंजाब के लिए अंडर-23 का मैच जयपुर में खेल रहे थे तो उसी दौरान हम टीवी पर ऑक्शन का लाइव प्रसारण देख रहे थे। हमने पूरी रात जश्न मनाया लेकिन असली पार्टी तब हुई जब वो गुरुवार को घर आया।”
हरप्रीत बरार लगातार ट्रायल के बाद भी सफलता नहीं मिलने से निराश हो चुके थे। इस बार उन्होंने सोचा था कि अगर आईपीएल में कामयाबी नहीं मिलती है तो वो कनाड़ा स्थिति अपनी बड़ी बहन के घर चले जाएंगे। लेकिन किस्तम को ये मंजूर नहीं था।
अगर नहीं मिलता इस बार मौका तो कनाडा हो जाता शिफ्ट- हरप्रीत
इसको लेकर हरप्रीत बरार ने इस बात को लेकर कहा कि “मैंने तय किया था कि अगर मैं इस साल पंजाब की सीनियर टीम में ब्रेक लेने या आईपीएल कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने में नाकम रहा तो मैं अपनी बहन के साथ कनाडा चला जाउंगा। लेकिन भाग्य में कम से कम कुछ था। मैं एक सकारात्म व्यक्ति हूं और मेरे और मेरे परिवार के लिए ये एक कठिन यात्रा है।”
हरप्रीत ने आगे कहा कि” जूनियर क्रिकेट में एक स्थापित क्रिकेटर बनने की गारंटी नहीं है। भारत जैसे देश में, रास्ता और भी कठिन है क्योंकि आप सैकड़ों प्रतिभाशाली लड़कों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। कई खिलाड़ी चुनौतियों से गुजरते हैं लेकिन विजेता अंत में यही बनाता है।”
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