पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को मैदान पर उनके शांत स्वाभाव की वजह से कैप्टन कूल के नाम से जाना गया. कैसी भी विपरीत परिस्थितियां हों पर धोनी मैदान पर शांत ही दिखाई देते. भरत सुन्दरसेन की किताब ‘द धोनी टच’ में धोनी से जुड़ी कई अहम बातें लिखी गयी हैं. जिसमें 2008 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे का किस्सा भी दिया है.
जब धोनी ने सेलिब्रेशन करने से कर दिया था मना
फरवरी 2008 में भारतीय टीम मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 160 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी. कप्तान के तौर पर धोनी का ये 15वां एकदिवसीय मैच था. वह रोहित शर्मा के साथ क्रीज़ पर मौजूद थे और भारत को जीत के लिए सिर्फ 10 रनों की आवश्यकता थी. इस दौरान धोनी ने ग्लब्स बदलने के बहाने टीम के सदस्यों को एक सन्देश भिजवाया कि क्रिकेट ग्राउंड की बालकनी में कोई सेलिब्रेशन नहीं किया जाएगा.
इस दौरान धोनी ने रोहित शर्मा को कुछ निर्देश भी दिए थे, कि किस तरह से मैच के बाद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से हाथ मिलाने हैं. ये वह दौर था जब रिकी पोंटिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को हार मिलना एक बहुत बड़ी बात होती थी.
धोनी ने कहा था कि
“यदि हम वाइल्डली सेलिब्रेट करेंगे तो ऑस्ट्रेलिया को लगेगा, कि यह बड़ी निराशा है और वह आगे के मैच में बदला लेने के लिए खेलेगा. हम ऑस्ट्रेलिया को यह संदेश देना चाहते थे कि यह कोई बड़ी निराशा नहीं है बल्कि यह बार-बार होगा. ऑस्ट्रेलिया महेंद्र सिंह धोनी की इस रणनीति को समझ नहीं पाया और बाद में भारत ने कॉमनवेल्थ ट्रॉफी जीती.”
यह धोनी का अपना एक अलग स्टाइल है वह आक्रामकता दिखाने के बजाय शांत रहते हुए विपक्ष को धराशायी कर देते हैं. इस बुक के मुताबिक धोनी कहते हैं कि
“यदि मैं अपने लड़कों को मां-बहन की गाली देने की इजाजत दे देता, तो यह बात उन्हें परेशान नहीं करेगी बल्कि मां-बहनों को परेशान करेगी.”
साथ ही धोनी आक्रामकता को सही नही मानते हैं. उनका कहना कि यदि तुम विपक्षी टीम को हर्ट करना चाहते हो तो अपने स्टाइल में करो. यदि वे गाली-गलौच में यकीन करते हैं तो तुम ऐसा मत करो.