पार्थिव पटेल भारतीय क्रिकेट के लिए कोई नया चेहरा नही हैं. उन्होंने अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट में तब पर्दार्पण किया जब उनके जैसे किशोर साइकिल चलाना सीखे रहे थे. पार्थिव पटेल ने 23 टेस्ट मैचों में 878 रन बनाए, जबकि रनों से 152 रन उन्होंने 38 एकदिवसीय मुकाबलों में बनाए. वह अब 32 वर्ष के हो गये हैं. लेकिन उनके बैकफुट पंचेस और पुल करने की क्षमता आज भी वैसी ही बल्कि कहें पहले से भी मजबूत हो गई है.
हाल ही में उन्होने बताई अपने दिल की बात-
हाल ही में विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने 10000 फर्स्ट क्लास रन पूरे कर लिए हैं. फर्स्ट क्लास फॉर्मेट के 170वें मैच में उन्होंने यह मुकाम हासिल किया. लेकिन उनकी भूक अभी तक ख़त्म नही हुई है. पार्थिव ने स्पोर्ट्सस्टार से बात करते हुए बताय की उन्होंने कैसा महसूस किया जब उन्हें मात्र 20 वर्षों की उम्र में टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. उम्र उनके पक्ष में थी मगर, महेंद्र सिंह धोनी के आ जाने से उनके दरवाजे बंद हो गये.
मुझे अपने ऊपर होने लगा था संदेह-
भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल अपने खेल और अपने क्रिकेटिंग कैरियर से खुश हैं. उन्होंने कहा, कि जिस तरह मैंने क्रिकेट में सभी चुनौतियों को स्वीकार किया है, मै उससे खुश हूँ. हालंकि, मै ये कहूँ कि मेरा आत्मविश्वास कम नही हुआ तो ये झूठ होगा. जब मै टीम से बहर कर दिया गया उसके बाद मेरे दो सीजन बेकार गये, मै एक सीजन में 250 रन भी नही बना पाया वह सबसे दुखद लम्हा था. तब मै अपने आप पर ही संदेह करने लगा था.
बीसीसीआई की किया प्रसंशा-
पार्थिव पटेल ने प्रणाली और घरेलू संरचना पर भी प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि मै बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ. बीसीसीआई हमेशा ही तैयार रहती है जो भी क्रिकेट के लिए अच्छा होता है. उन्होंने कहा, हमारी राष्ट्रीय टीम अच्छी तरह से कर रही है क्योंकि घरेलू क्रिकेट संरचना बहुत अच्छी है हमने विदेशों में जीतना शुरू कर दिया है और खिलाड़ियों की सफलता के लिए भूख लगी है और दौरे पर खेलने के लिए खिलाड़ी अच्छी तरह तैयार होते हैं.