आईसीसी के चीफ एक्जीक्यूटिव आफिसर (सीईओ) डेव रिचर्डसन का मानना है, कि साउथ अफ्रीका चोकर नहीं है, उसमे किसी भी टूर्नामेंट को जितने की पूरी क्षमता है, 1992, 1999, 2003 और 2007 में साउथ अफ्रीका अच्छे एक मजबूत स्थिति में थी, और वो टूर्नामेंट का ख़िताब अपने नाम कर सकती थी, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पायी, और हार कर बाहर हो गयी, तब से साउथ अफ्रीका को चोकर की उपाधि दी गयी है.

मिड-डे रिपोर्ट के माध्यम से रिचर्डसन ने कहा, लोग जब उन्हें चोकर कहते है, तो यह उन्हें बुरा नहीं लगता है, वो सोचते होंगे चोकर एक गलत ठप्पा है, जो साउथ अफ्रीका के उपर नहीं होना चाहिये, जब वो किसी महत्वपूर्ण मैच में हारते है, तो इसका मतलब ये नहीं है, कि साउथ अफ्रीका चोकर है, इसलिये वो हार गये, बल्कि उस दिन विरोधी टीम ने अच्छा खेला होगा.

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रिचर्डसन को लगता है, एबी डिविलियर्स की अगुवाई वाली यह साउथ अफ्रीकन टीम हर फिल्ड में बेहतर है, और इस विश्वकप की एक मजबूत टीम है, रिचर्डसन उस समय न्यूज़ में आये जब उन्होंने कहा था, कि 2019 में इंग्लैंड में होने वाले विश्वकप में सिर्फ 10 टीमें ही खेलेंगी, स्कॉटलैंड, आयरलैंड जैसी अन्य छोटी टीमो को विश्वकप में नही लेने की उन्होंने घोषणा की थी, जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुयी थी.