IND vs NZ: भारत और न्यूजीलैंड के बीच वनडे सीरीज का दूसरा मैच 21 जनवरी को खेला जाना है, वहीं तीसरा मैच इंदौर में 24 जनवरी को होगा. इन दोनों ही मैचो के लिए टिकटों की बिक्री ऑनलाइन की जा चुकी है. ऐसे में हाल ही में टिकटों की कालाबाजारी को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. वो अब हाईकोर्ट तक पहुँच चुका है. इस विवाद के बाद ऐसी संभवना भी जताई जा रही थी कि तीसरे मैच का वेन्यू भी बदला जा सकता है. ऐसे में हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए एक बड़ा कदम भी उठाया है.
IND vs NZ: हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
भारत और न्यूजीलैंड के बीच इंदौर में 24 जनवरी को खेले जाने वाले वनडे मैच के टिकटों की ऑनलाइन बिक्री में गड़बड़ी को लेकर कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. लेकिन अब सामने आ रही जानकारी के मुताबिक जनहित याचिका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी गयी है. उच्च न्यायालय (IND vs NZ) की इंदौर पीठ ने अदालत का वक्त बर्बाद करने के कारण याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी ठोका है.
उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस व्यक्ति ने आरोपों की प्रामाणिकता जांचे बगैर केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दायर की और यह एक बेबुनियाद याचिका है जिसको खारिज किया जा रहा है. उन्होंने कहा,
“याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बगैर जनहित याचिका दायर की है. उसने अपने आरोपों के समर्थन में कोई दस्तावेज भी पेश नहीं किए हैं. इस याचिका को केवल लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से दायर किया गया है.”
कांग्रेस नेता ने दायर की झूठी याचिका
कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI), मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (MPCA) और राज्य सरकार के खिलाफ दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया था कि आगामी भारत-न्यूजीलैंड (IND vs NZ) मैच के टिकटों की ऑनलाइन बिक्री में गड़बड़ी और इनकी कालाबाजारी की गई, जिससे सरकारी खजाने को कर राजस्व का नुकसान भी पहुंचा.
एमपीसीए की ओर से इन आरोपों को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय में दलील दी गई कि यह याचिका केवल एक सांध्य दैनिक में छपी खबर के आधार पर दायर की गई है. उनके अनुसार अख़बारों में छपी खबरों की वजह से किसी भी याचिका पर सुनवाई करना न्यायसंगत नहीं है. इसकी वजह से उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति प्रकाशचंद्र गुप्ता ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करते हुए यह याचिका खारिज कर दी.