गुरुवार से भारत और वेस्टइंडीज के मध्य टेस्ट सीरीज की जंग शुरू होने वाली हैं. वर्तमान समय में भले ही वेस्टंइडीज की टीम को कमजोर माना जाता हैं. लेकिन एक ऐसा भी टाइम था. जब कैरिबियाई टीम के बल्लेबाजी से पूरी दुनिया डरती थी. ये बात 70 से 80 के दशक के बीच की हैं. जब पूरे क्रिकेट जगत पर सिर्फ वेस्टंइडीज की टीम का ही राज था.
1950 के दशक से की क्रिकेट में अपनी दबदबे की शरुआत
सन 1950 के दशक से वेस्टइंडीज टीम ने क्रिकेट जगत में अपना दबदबा बनाने की शुरुआत कर दी थी. वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड से लॉर्ड्स में पहला मैच जीत कर अपने नाम की, इतना ही नहीं इस मैच में वेस्टइंडीज ने मजबूत टीम इंग्लैंड को उसके ही घरेलूं मैदान में 3-1 से इस टेस्ट सीरीज में हार देकर अपने खाते में जीत दर्ज की.
ये वो दौर था जब कैरिबियाई टीम गैरी सोबर्स और फ्रेंक वॉरेल जैसे शानदार खिलाड़ियों की कप्तानी में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों को मात देने लगी. इनकी कड़ी मेहनत और लग्न से इनका परचम पूरे विश्व में लहराया.
इनके स्वर्णिम सफर की शुरुआत
वेस्टइंडीज के शानदार सफर की शुरुआ1970 से शरू हुई. जोकि सन 1980 तक कायम रही. इस टीम ने लॉयड की कप्तानी के समय न सिर्फ टेस्ट मैचों में जीत हासिल किया. बल्कि दो बार वनडे में भी विश्व चैंपियन रही. क्योंकि उस समय उनके पास जोएल गार्नर, मैल्कम मार्शल,कोलिन क्राफ्ट,माइकल होल्डिंग,जैसे शानदार तेज़ गेंदबाज भी मौजूद थे. और क्लाइव लॉयड,कालीचरण जैसे महान बल्लेबाज भी थे.
1990 से खोयी अपनी चमक
1990 के दशक से ये टीम जो कभी बुलंदियों पर थी. अब ये नीचे आने लगी और धीरे -धीरे ये अपनी चमक खोती चली गयी और 2000 तक ये पूरी तरह से गायब ही हो गयी. इस टीम के सबसे महान और आखिरी खिलाडी ब्रायन लारा थे.
कैरिबियाई क्रिकेट के लुप्त होने का सबसे बड़ा कारण वेस्टइंडीज बोर्ड माना गया. इसके ढीले रवैये ने वेस्टइंडीज जैसे महान टीम को फिसड्डी टीमों में लाकर खड़ा कर दिया आज के समय में ये टीम वो बुलंदी छूना तो दूर बल्कि खुद से खड़े होने के लिए भी लगातार संघर्ष कर रही हैं.
उपलब्धियां:
1980 से 1984 के बीच वेस्टइंडीज ने लगातार 11 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की.
1980 के दशक में लगातार पांच सीरीज में 2 बार इंग्लैड को हराया.
1948 से 1967 से भारत के खिलाफ लगातार पांच टेस्ट सीरीज जीती.