क्रिकेट में तीनों फ़ॉर्मेट की रफ़्तार और उसके साथ तालमेल बिठाने की खिलाड़ियों की तकनीक को लेकर कई बार क्रिकेट एक्सपर्ट्स और क्रिकेट प्रशंसकों में कई तरह से विमर्श छिड़ चुका है. 1971 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हुए 40 ओवर के मैच के बाद वन-डे क्रिकेट वजूद में आया था. इसके बाद फिर सीमित ओवरों के इस फ़ॉर्मेट को आधिकारिक रूप दिया गया. जिसकी पहली मिसाल देखने को मिली 1975 में जब इंग्लैंड में प्रूडेंशियल कप नाम से वन-डे विश्व कप की शुरुआत हुई थी. शुरुआत में वन-डे क्रिकेट में एक पारी में डलने वाले ओवरों की संख्या 60 थी.
इसके बाद फ़र्क़ आया टेस्ट और वन-डे फ़ॉर्मेट की रफ़्तार का. कुछ क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि वन-डे, टी20 और टेस्ट, तीनों ही फ़ॉर्मेट में तकनीक का फ़र्क़ है. एक तरफ़ टेस्ट क्रिकेट में धैर्य, ठहराव के साथ खेलने की स्ट्रैटेजी. क्रिकेट की गहरी किताबी समझ या फिर कहें कॉपी-बुक क्रिकेट स्टाइल की समझ होनी चाहिए. तो वहीं दूसरी ओर टी20 ओर वन-डे में एक तेज़ रफ़्तार क्रिकेट की ज़रूरत होती है. जिसके साथ धीमा खेलने वाले क्रिकेटर अक्सर एडजस्ट नहीं कर पाते.
तो चलिए इसी विमर्श को ध्यान में रखते हुए बात करते हैं उन 5 भारतीय खिलाड़ियों की जिन्हें अब सीमित ओवरों की क्रिकेट से संन्यास लेकर सिर्फ़ टेस्ट पर ध्यान देना चाहिए.
चेतेश्वर पुजारा
राजकोट का ये 32 वर्षीय बल्लेबाज़ इस वक़्त भारतीय टीम में एक सीनियर खिलाड़ी की हैसियत से मैदान पर उतरता है. अपने 10 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पुजारा तीनों फ़ॉर्मेट में कुल 112 मैच खेले हैं 6281 रन बनाए हैं. अब अगर बात की जाए हर फ़ॉर्मेट में पुजारा के प्रदर्शन की तो वन-डे और टी20 में उनके आँकड़े कुछ ज़्यादा बेहतर नहीं हैं. शुरुआत टी-20 से करें तो पुजारा ने अपने 30 आईपीएल मैचों में 20.53 के मामूली औसत से महज़ 390 रन ही बनाए हैं.
जब बात वन-डे फ़ॉर्मेट की आती है तो पुजारा के आँकड़े और भी ज़्यादा खराब या मामूली ही नज़र आते हैं. लेकिन 5 दिनों की क्रिकेट में पुजारा शुरु से ही स्पेशलिस्ट क्रिकेटर रहे हैं. 9 अक्टूबर 2010 को चिन्नास्वामी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ डेब्यू करने से अब तक पुजारा ने 77 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें उन्होंने 48.67 की शानदार औसत से कुल 5840 रन बनाए हैं. पुजारा ने अभी तक अपने करियर में 3 दोहरे शतक और 18 शतक लगाए हैं.