भारतीय क्रिकेट टीम आखिरकार इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए DRS का इस्तेमाल कर सकती हैं.
इंग्लिश न्यूज पेपर डेली मैल के रिपोर्ट के मुताबिक, इस हफ्तें आईसीसी जनरल मैनेजर हॉक आय कंपनी के साथ भारत आने वाले हैं, जहां वे बीसीसीआई को DRS के बारें में समझाएंगे.
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भारतीय टीम ऐसी अकेली टीम हैं जो DRS का इस्तेमाल नहीं करती. बीसीसीआई को DRS की तकनीक पर अभी तक पुरा विश्वास नहीं हैं.
भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले ने कुछ ही दिनों पहले DRS पर खुलकर बात की थी.
विराट कोहली ने कहा था, कि
“हम भविष्य में DRS का इस्तेमाल कर सकते हैं. हम मिटिंग में इस बात पर चर्चा कर चुके हैं, और हम सिर्फ हॉक आय और बॉल ट्रैकर से थोड़े संतुष्ट नहीं हैं. लेकिन जल्द ही हम DRS का इस्तेमाल करेंगे.”
आईसीसी ने DRS में नये नियमों को शामिल किया हैं, और इसका इस्तेमाल दक्षिण अफ्रिका और अॉस्ट्रेलिया की वनडे सीरीज में किया गया.
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पहले अंपायर का फैसला बदलने में गेंद को मिडल और अॉफ और मिडल और लेग स्टंप के बीच लगना जरुरी था. तो गेंद बेल्स के नीचे लगनी जरुरी थी. और अब बदलाव में गेंद अॉफ स्टंप और लेग स्टंप पर लगने पर भी आउट दिया जाता हैं.
भारत और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज की शुरूआत 9 नवंबर से राजकोट में होगी. और हमे पहली बार भारतीय टीम DRS का इस्तेमाल करते हुए दिख सकती हैं.
यह खबर भारतीय वनडे कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कों काफी दुखी कर सकती है, क्योंकि शुरुआत से ही भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी DRS के खिलाफ रहे है, उन्हें DRS पर बिलकुल भी विश्वास नहीं है, लेकिन अब विराट कोहली कों DRS से कोई परेशानी नहीं है, तो बीसीसीआई ने भी DRS पर अपनी सहमती जता दिया है. अब तक भारत के साथ जों भी टीम खेलती थी, उसे DRS का प्रयोग नहीं करने दिया जाता था और न ही भारतीय टीम इसका उपयोग करती थी.