पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। धोनी ने 2014 के अंत में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था, जबकि वह आज भी सीमित ओवरों का मैच खेल रहे हैं। इसके साथ ही कप्तान के रूप में भी धोनी की गिनती भारत के सबसे सफल कप्तानों में होती है। वह आईसीसी के तीनों ही टूर्नामेंट जीतने वाले दुनिया के एकमात्र कप्तान भी हैं।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 16 से ज्यादा रन बनाने वाले धोनी क्रिकेट के तीसरे सबसे सफल विकेटकीपर भी हैं। धोनी ने 504 अंतरराष्ट्रीय मैचों में विकेट के पीछे 788 बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया है। 2004 के अंत में भारत के लिए धोनी के डेब्यू से पहले भारतीय टीम काफी समय से विकेटकीपर की तलाश में थी। उस समय ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों के पास ऐसे विकेटकीपर थे जो बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन करते थे।
टेस्ट में धोनी ने 38 की औसत से जहाँ से रन बनाये थे वहीं वनडे में उनका औसत 51 का है। उनकी गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन फिनिशर में की जाती है।
टेस्ट में धोनी से पहले
महेंद्र सिंह धोनी ने 2005 में अपना टेस्ट डेब्यू किया था। 1976 से 2005 में धोनी के डेब्यू से पहले भारतीय टीम में15 विकेटकीपरों को टेस्ट खेलने का मौका मिला। इसमें सैयद किरमानी ने सबसे ज्यादा 88 टेस्ट खेले थे, लेकिन उनका बल्लेबाजी औसत मात्र 27 का रहा। इसके साथ ही 10 ऐसे विकेटकीपर रहे जो 10 भी टेस्ट नहीं खेल पाए। 2000 के बाद तो हालात और खराब हो गए थे। 2000 से 2002 के बीच 8 विकेटकीपरों ने भारत के लिए टेस्ट खेला पर कोई टीम में अपना स्थान पक्का नहीं कर पाया।
धोनी के संन्यास के बाद
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2014 में अपना आखरी टेस्ट खेलने वाले धोनी के संन्यास के बाद हालात फिर से वही पुराने वाले हो गए हैं। धोनी से पहले डेब्यू करने वाले पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक आज भी टीम को जगह बनाने को जूझ रहे हैं। इसके अलावा रिद्धिमान साहा, नमन ओझा और ऋषभ पंत को मौका मिल चुका है। इनमें कोई भी खिलाड़ी विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी में धोनी के आसपास भी नहीं पहुँच पाया है।
वनडे में क्या होगा
एमएस धोनी की डेब्यू से पहले वनडे क्रिकेट में भी टीम के हालात टेस्ट जैसे ही थे। कोई भी विकेटकीपर बल्ले से उतना सक्षम नहीं था जितनी क्रिकेट की मांग थी। यही कारण था कि राहुल द्रविड़ को 73 मैचों में विकेटकीपर की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। जिसके बाद एक अतरिक्त बल्लेबाज को टीम में मौका मिल पाता था।
धोनी के आने के बाद सब कुछ बदल गया। धोनी का वनडे में बल्लेबाजी औसत 51 और स्ट्राइक रेट 88 का है। 10 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले किसी भी बल्लेबाज का औसत धोनी से बेहतर नहीं है। धोनी अभी टीम के कप्तान भले ही ना हो लेकिन आज भी कप्तान विराट कोहली वनडे या टी-20 में कोई फैसला लेने से पहले धोनी से सलाह लेते दिखते हैं।
धोनी के मिल रही संन्यास लेने की सलाह
माही के आलोचक इंग्लैंड में उनके खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें संन्यास लेने की सलाह दे रहे हैं। ऐसा करने से पहले उन्हें ऊपर के आंकड़े देख लेने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सबसे सफल विकेटकीपर बल्लेबाज की जगह लेना इतना आसन नहीं होगा। टेस्ट में उनके संन्यास के 4 साल बाद भी टीम को उनका विकल्प नहीं मिल पाया है।
इसी वजह से आलोचकों को जरूरत है कि धोनी से संन्यास की मांग करने से पहले उनके विकल्प को भी देख लें। कहीं ऐसा ना हो कि उनके संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट फिर से वापस 2000 में चली जाये। जहां टीम लगातार विकेटकीपर की तलाश कर रही थी।