भारत का बच्चा-बच्चा अपने देश के बारे में बहुत कुछ नहीं जानता होगा, लेकिन वह टीम इंडिया के क्रिकेटर्स का कुछ नाम तो जरूर जानता होगा. हमारे यहां नुक्कड़-चौराहों पर सिर्फ दो बातें होती हैं.
एक देश के सियासत की व दुसरी क्रिकेट की. चौराहे पर खड़े होकर चाय की चुस्की लेने वाले भी क्रिकेटर्स को सलाह देने लगे हैं. कहने लगे हैं, कि माही भाई आपको अब क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए.
इतना सब कुछ मैं सिर्फ इसलिए बता रहा जिससे आप जान सकते कि हम क्रिकेट को लेकर कितने जज्बाती रहते हैं. हम इस खेल से कैसे जुड़े हुए हैं.भारत के पास तमाम ऐसे प्रतिभाएं हैं जिसका लोहा पूरा क्रिकेट जगत मानता है. हमने अपने देश के लिए क्रिकेट के भगवान को खेलते हुए देखा है.
हमने दो बार वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा जमाया है. पहला टी-20 विश्वकप भी हमने ही जीता था. बहुत कुछ है भारतीय क्रिकेट के बारे में बताने को लेकिन ये सबकुछ फिर कभी. आज हम भारत की विश्व कप की आल टाइम बेस्ट इलेवन टीम के बारे में बताएंगे.
सचिन तेंदुलकर-
इस खिलाड़ी को क्रिकेट का भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता . सचिन ने न जाने कितने यादगार पल व जश्न के मौके भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को दिया है. सचिन ने भारत के लिए कुल 6 विश्वकप खेले हैं. आखिरकार साल 2011 में भारत को दुसरी बार विश्वविजेता का खिताब दिलाकर ही सचिन ने क्रिकेट को अलविदा कहा है.
वीरेंद्र सहवाग
टीम इंडिया का यह पूर्व सलामी बल्लेबाज आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों पर राज करता है. यह खिलाड़ी अपनी तूफानी बल्लेबाजी से विरोधी टीम को पल भर में धराशायी कर देता था. सहवाग ने अपने करियर में पाकिस्तानी गेंदबाजों की जमकर धुनाई की है. आज भी लोग मानते हैं कि वीरेंद्र सहवाग जैसा न कोई दूसरा हुआ और न आगे कभी होगा.
राहुल द्रविड़
टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले इस खिलाड़ी ने साल 1999 के विश्वकप में सबसे ज्यादा रन बनाए थे. द्रविड़ ने 65.86 की औसत से कुल 8 पारियों में 461 रन बनाए थे. भले ही इस साल भारत फाइनल तक नहीं पहुँच पाया था लेकिन द्रविड़ इस साल के टॉप स्कोरर थे.
युवराज सिंह- टीम इंडिया के सिक्स़र किंग कहे जाने वाले युवराज सिंह को अगर इस टीम में जगह न दी तो यह बेईमानी कहलायेगा. साल 2011 के वर्ल्डकप में इस हरफमौला खिलाड़ी को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था. युवी उस दौरान कैंसर की समस्या से जूझ रहे थे तब भी उन्होंने मैदान पर अपना शत प्रतिशत दिया.
मनिंदर अमरनाथ-
जब पहली बार भारत ने साल 1983 में विश्वकप खिताब पर कब्जा जमाया था तब इस ऑलराउंडर खिलाड़ी ने अहम भूमिका निभाई थी. मोहिंदर अमरनाथ इस विश्वकप के फ़ाइनल और सेमी फ़ाइनल के मैन ऑफ़ द मैच रहे थे.
महेंद्र सिंह धोनी
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व कैप्टन कूल ने नाम से मशहूर एमएस धोनी को इस टीम की कमान सौंपी जाये तो गलत नहीं कहलायेगा. धोनी ने अपनी कप्तानी में दो विश्वकप भारत को दिलाये हैं.
कपिल देव
कपिल देव ही पहले भारतीय कप्तान थे जिनकी कप्तानी में भारत ने पहली बार विश्वकप ख़िताब पर कब्ज़ा जमाया था. साल 1983 में भारत जब वेस्टइंडीज को हरा विश्वकप जीता था तो उस समय कपिल देव ही भारत के कप्तान थे.
हरभजन सिंह
लिमिटेड ओवर क्रिकेट में भारत के पास भज्जी से बेहतरीन स्पिनर नहीं हुआ. इस वजह से इनकी इस टीम में जगह तो बनती ही है.
जहीर खान
तेज गेंदबाज में जहीर खान परफेक्ट गेंदबाज हैं. अपनी घातक गेंदबाजी के दम पर इस खिलाड़ी ने कई मैच भारत को जिताए हैं.
आशीष नेहरा
नेहरा जी ने कई सालों तक भारतीय टीम को सेवा दी है. नेहरा ने भारत के लिए दो विश्वकप खेला है. किफायती गेंदबाजी के साथ विकेट निकालने की काबिलियत इस गेंदबाज के पास गजब की थी.
जवागल श्रीनाथ
विविधता के मामले में इस गेंदबाज का कोई सानी नहीं था. इस गेंदबाज जैसा भी भारतीय टीम में दूसरा कोई नहीं हुआ.