टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज इरफान पठान ने अपने क्रिकेट करियर में ऊंचाइयों को काफी तेजी से छुआ लेकिन दुर्भाग्य से उतनी ही जल्दी उनके करियर का पतन हो गया, लेकिन उनकी स्विंग गेंदबाजी की आज भी फैन्स चर्चा करते हुए नहीं थकते हैं. 2004- 2005 का वो दौर था जब इरफान पठान ऑस्ट्रेलिया दौरे से लेकर पाकिस्तान दौरे अपनी करिश्माई गेंदबाजी के चलते सुर्खियों में थे.
आपको ये जानकार हैरानी होगी इरफान पठान की काबिलियत पर कभी उनके कप्तान रहे सौरव गांगुली को भरोसा नहीं था. दादा इरफान को टीम में भी नहीं रखना चाहते थे, लेकिन इरफान पठान ने बाद में ना सिर्फ सौरव गांगुली का भरोसा जीत बल्कि भारतीय टीम के तेज गेंदबाज के तौर पर मुख्य हथियार भी बन गए.
इरफान पठान पर दादा को नहीं था भरोसा
इरफान पठान 2003-04 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सुर्खियों में आए और उन्होंने अपने ऊपर से ध्यान हटने भी नहीं दिया.19 साल केइरफान पठान ने बेहतरीन गेंदबाजी के सहारे अपनी छाप छोड़ी थी. हालांकि, शुरुआत में तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को पूरा भरोसा नहीं था और वह इसलिए ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर युवा बाएं हाथ के तेज गेंदबाज इरफान पठान को नहीं ले जाना चाहते थे.
प्रिंस ऑफ कोलकाता दरअसल तेज गेंदबाज के साथ कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे. इरफान पठान ने साल भर पहले अपने एक इंटरव्यू में खुद इस बात का खुलासा किया था कि करियर के शुरूआत में सौरव गांगुली को उनके बॉलिंग स्केल पर भरोसा नहीं था.
जब गांगुली को इरफान ने साबित किया गलत
इरफान पठान आखिरकार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए और 2003 में एडिलेड टेस्ट में डेब्यू किया, जहां उन्होंने पहली पारी में मैथ्यू हेडन का विकेट झटका. मगर फिर ट्राई नेशन सीरीज, जिसमें जिंबाब्वे भी शामिल थी, वहां इरफान पठानका पूरा जलवा देखने को मिला.इरफान पठान ने ट्राई नेशन सीरीज में 10 मैचों में 16 विकेट चटकाए थे.
अपनी इस प्रदर्शन के दम पर इरफान पठान रातो-रात स्टार बन गए. सौरव गांगुली को भी उनके ऊपर पूरा भरोसा हो गया. इसके ठीक बाद भारतीय टीम ने 14 साल बाद पाकिस्तान का दौरा किया जहां इरफान पठान ने अपने क्रिकेट करियर का यादगार प्रदर्शन करते हुए उन पाकिस्तानी दिग्गजों को करारा जवाब दिया जो उन्हों साधारण गेंदबाज मान रहे थे.
कमेंट्री के रूप में दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं इरफान
इरफान पठान सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं. अक्सर बड़े मुद्दों पर उनके ट्वीट देखने को मिलते रहते हैं. संन्यास लेने के बाद भी इरफान पठान का क्रिकेट के प्रति लगाव कम नहीं हुआ है. बतौर क्रिकेट कमेंटेटर को नजर आते हैं.
2007 टी-20 विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे इरफान पठान के भाई यूसुफ पठान भी उस टीम का हिस्सा थे. इरफान पठान को 2011 विश्व कप खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन युसुफ पठान विश्व कप जीतने वाली टीम के ग्यारा खिलाड़ियों में शामिल थे.