जो रूट के दादाजी ने बताया क्यों टेस्ट क्रिकेट में भारत के सामने संघर्ष करते दिख रहा था इंग्लैंड 1

इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड द्वारा आयोजित द हंड्रेड का पहला सीजन हाल ही में समाप्त हुआ जो काफी सफल रहा था। हो सकता है कि ईसीबी ने टूर्नामेंट के पहले सीज़न को एक बड़ी सफलता के रूप में देखा हो लेकिन सब के नजरिए से ऐसा नहीं है। इंग्लैंड के कुछ पूर्व खिलाड़ी इस टूर्नामेंट को देख काफी निराश हुए हैं। इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान जो रूट के दादाजी डॉन रूट भी इस टूर्नामेंट को देख कुछ खास प्रभावित नहीं हुए हैं।

रेड बॉल क्रिकेट को खतरा

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द क्रिकेटर मैगजीन को लिखे एक पत्र में डॉन रूट ने इस नए टूर्नामेंट पर अपनी राय दी जिससे वे ना खुश दिखे और बताया कि सफेद गेंद वाले क्रिकेट कि वजह से लाल गेंद वाले क्रिकेट को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा,

“हमें कितने दिनों से बताया जा रहा है को क्रिकेट को जमीनी स्तर पर पोषण देने के लिए हमें अधिक धन की जरूरत है और जाहिर तौर पर ये सिर्फ सफेद गेंद वाले खेल में ही संभव है। लेकिन इसका कीमत हमें लाल गेंद वाले खेल पर प्रभाव के रूप में चुकाना पड़ रहा है। और इसका नतीजा पिछली टेस्ट सीरीज में देखा जा सकता है।”

डॉन रूट ने आगे कहा, 

“हर खेल को वित्तीय संसाधनों की जरूरत होती है। लेकिन क्या इस वक्त हमारे पास वित्तीय जरूरतों और मैदान पर प्रदर्शन के बीच संतुलन है? जहां तक रेड बॉल क्रिकेट का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ है।”

भारत – इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में जो रूट का गज़ब प्रदर्शन

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जो रूट अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों में से अकेले, शानदार फॉर्म में दिखे थे। उन्होंने इंग्लैंड के लिए तीन शतक जड़े और श्रृंखला में 94.00 की औसत से 564 रन बनाए थे, जो उनकी टीम के किसी भी साथी से लगभग तीन गुना अधिक था। 2021 में उनके बल्ले से अब तक 12 टेस्ट मैचों में 1455 रन निकले है और इस दौरान उनका औसत 66 से अधिक का रहा है।

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