कपिल देव

38 साल पहले आज ही के दिन यानी 25 जून, 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम ने सभी को हैरान करते हुए पहली बार वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाई थी। इंग्लैंड के मेजबानी में हुए वर्ल्ड कप के इस तीसरे संस्करण में भारत से किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी। किसी ने उसे खिताब का प्रबल दावेदार नहीं माना था। टीम की कमान थी 24 साल के कपिल देव के हाथों में. जिस उम्र में कई खिलाड़ी डेब्यू तक नहीं कर पाते, उस उम्र में कपिल देव ने भारत को वर्ल्ड कप जिताया.

कपिल देव की कप्तानी में भारत ने रचा इतिहास

कपिल देव

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कपिल देव की कप्तानी में आज ही के दिन ठीक 20 साल पहले 25 जून 1983 को भारत ने पहली बार विश्व कप जीतकर इतिहास रचते हुए सभी को चौका दिया था. टीम के युवा कप्तान कपिल देव की टीम के पास उस वक्त खोने को कुछ नहीं था और यही चीज टीम की ताकत बन गई.

कपिल देव की कप्तानी में भारत ने क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान में वेस्टइंडीज जैसी उस ताकतवर टीम को हरा कर विश्व कप जीतने का गौरव हासिल किया था जिसे हराने की कोई टीम कल्पना तक नहीं कर सकती थी.

किसी को नहीं थी भारत के विश्व कप जीतने की उम्मीद

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भारतीय टीम के पास अनुभव की भी कमी थी क्योंकि इससे पहले उसने सिर्फ 40 वनडे मैच खेले थे. बीते दो वर्ल्ड कप में भी उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. कोई भी ये नहीं कह सकता था कि कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम विश्व कप जीतेगी मगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी संभव है. भारत ने यही कर दिखाया जिसमें कप्तान कपिल देव के शानदार खेल का भी बड़ा योगदान रहा.

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भारत ने शुरूआत में तत्कालीन वर्ल्ड विजेता विंडीज को 34 रनों से हरा दिया था. यह मैच नौ जून को ओल्ड ट्रेफर्ड में खेला गया था.यहां से कपिल देव की टीम में जो आत्मविश्वास आया उसने कदम दर कदम टीम को खिताब के पास पहुंचाया. इस मैच के बाद भारत ने जिम्बाब्वे को हराया. इसके बाद हालांकि भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार मिली और फिर वेस्टइंडीज ने दूसरे मैच में अपनी हार का बदला ले लिया. लगने लगा कि भारत वर्ल्ड कप से बाहर हो जाएगा.

भारत ने मजबूती के साथ वापसी की और जिम्बाब्वे के 18 जून को मात दी. इस मैच में कपिल देव ने 175 रन बन ऐसी मैच विजेता पारी खेली जो इतिहास में दर्ज रही. आज भी इस पारी को कोई भी भूल नहीं सकता. 20 जून को भारत ने आस्ट्रेलिया को हरा दिया और सेमीफाइनल में जगह बनाई.

इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया भारतीय टीम का नाम

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भारत ने सभी की अपेक्षाओं से परे 22 जून को इंग्लैंड को सेमीफाइनल में मात दी और पहली बार वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई. 25 जून को जब कपिल की कप्तानी वाली भारतीय टीम का सामना क्लाइव लॉयड की टीम से था तब किसी ने नहीं सोचा था कि विंडीज की हैट्रिक पर भारत ब्रेक लगा देगा.

भारत ने महज 183 रन बनाए, लेकिन वह इस लक्ष्य का बचाव करने में सफल रहा और कपिल देव ने लॉडर्स मैदान की बालकनी में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी ऊठाई. भारत को हालांकि दोबारा वर्ल्ड विजेता बनने के लिए 28 साल का इंतजार करना पड़ा.

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने 2011 में दूसरी बार वर्ल्ड विजेता का तमगा हासिल किया था.इससे पहले हालांकि धोनी की कप्तानी में ही भारत टी-20 का पहला वर्ल्ड विजेता बना था लेकिन वनडे में वर्ल्ड कप का सूखा 2011 में खत्म हुआ.