भारतीय क्रिकेट टीम के कोच का चैप्टर शुक्रवार को रवि शास्त्री को एक बार फिर से मुख्य कोच के रूप में नियुक्त करने के बाद ही खत्म हो गया है। विश्व कप के बाद से ही भारतीय टीम के मुख्य कोच को लेकर चले आ रहे संस्पेंस पर कपिल देव एंड कंपनी ने आखिरकार शुक्रवार को इस पर विराम लगा ही दिया।
कपिल देव एंड कंपनी ने रवि शास्त्री को एक बार फिर से बनाया टीम का कोच
सीओए के द्वारा गठित क्रिकेट सलाहकार समिति ने शुक्रवार को भारतीय टीम के मुख्य कोच के लिए रवि शास्त्री के नाम पर एक बार फिर से मुहर लगायी और उन्हें 2021 में होने वाले आईसीसी टी20 विश्व कप तक टीम का कोच बनाया गया है।
सीएसी में पूर्व भारतीय टीम के कप्तान रहे कपिल देव की अध्यक्षता में अंशुमान गायकवड़ और शांता रंगास्वामी भी मौजूद थी। इन तीनों सदस्यों की कमेटी ने रवि शास्त्री पर ही एक बार फिर से मुख्य कोच के लिए विश्वास जताया।
विदेशी कोच के रेस में होने के बाद भी रवि शास्त्री पर दिखाया कपिल देव ने भरोसा
भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच चुनने की जिम्मेदारी इस बार कपिल देव जैसे मजबूत और अनुभवी कंधों को सौंपी गई थी। भारत के विश्व विजेता कप्तान कपिल देव एंड कंपनी ने कोच पद की रेस में शॉर्ट लिस्ट किए गए 6 नामों में से आखिरकार एक बार फिर से देशी कोच रवि शास्त्री पर ही भरोसा जताया।
इस रेस में विदेशी कोच माइक हेसन और टॉम मूडी जैसे दिग्गजों का भी नाम था। इन दोनों ही विदेशी कोच का कोचिंग रिकॉर्ड भी बहुत ही शानदार रहा लेकिन कपिल देव एंड कंपनी ने रवि शास्त्री के नाम को ही कोच के रूप में उपयुक्त माना।
…तो क्या इस वजह से कपिल देव ने विदेशी कोच में नहीं दिखायी दिलचस्पी
वैसे कोच बनने की रेस में टॉम मूडी का नाम भी शामिल था। टॉम मूडी के कोचिंग कौशल के बारे में हर कोई जानता है कि वो कितने सफलतम कोच रहे हैं। टॉम मूडी ने एक कोच के रूप में खासा कमाल किया है लेकिन कपिल देव ने उन्हें नजर अंदाज कर दिया।
कपिल देव ने एक देशी कोच को फिर से नियुक्त कर बता दिया कि उनकी विदेशी कोच को लेकर कभी भी सकारात्मक रवैया नहीं दिखा है। कपिल देव ने भारतीय टीम के लिए खेलने के दौरान भी हमेशा ही विदेशी कोच का विरोध किया है और उनकी विदेशी कोच से नहीं बनती थी।
ऐसे में कपिल देव तो कभी नहीं चाहेंगे कि भारतीय टीम के कोच पद की कमान किसी विदेशी को सौंपी जाए। ऐसे में कपिल देव ने देशी कोच पर ही भरोसा जताया और साबित कर दिया कि उनकी विदेशी कोच नीति से नफरत अभी भी कायम है।
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