क्रिकेट डेस्क। क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसे सीखने की अगर आपके अंदर इच्छा नहीं है तो इसके नियम आपको बहुत ही कठीन लगेंगे। हर फॉरमेट में इसके लिए इसके अलग-अलग नियम होते हैं। किसी भी अन्य खेल की तरह ही इस खेल के नियमों का गठन एक समिति या फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। मेलबर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) इस खेल के नियमों की मॉनिटरिंग करता है। तकनीक के कारण आज क्रिकेट काफी आधुनिक हो गया है। जैसे-जैसे इस खेल का जुनून बढ़ रहा है वैसे ही इसके नियमों में भी बदलाव हो रहा है।
आज हम आपको कुछ ऐसे क्रिकेट नियमों के बारे में बताएंगे जिन्हें आप कम ही जानते होंगे।
1) घायल खिलाड़ी पर प्रतिबंध
हम सभी जानते हैं कि फील्डिंग कर रहा खिलाड़ी मैदान छोड़कर नहीं जा सकता है। यदि किसी खिलाड़ी को मैदान छोड़कर जाना भी हुआ तो उसे अंपायर से इसकी अनुमति लेनी पड़ती है तथा उचित कारण भी बताना होता है। यदि कोई खिलाड़ी ऐसा नहीं करता है तो बतौर दंड, बल्लेबाजी कर रही टीम के खाते में पांच रन जोड़ दिए जाते हैं।
2) अपील नहीं
यह एक सामान्य सी बात है कि अम्पायर किसी बल्लेबाज को तब तक आउट घोषित नहीं करता है, जब तक कि फील्डिंग कर रहा कोई खिलाड़ी अपील न करे। नियम 27 के अनुसार, यदि आउट की अपील नहीं की जाती है तो बल्लेबाज को आउट होने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। यदि किसी बल्लेबाज को ऐसा प्रतीत हो कि वह आउट हो गया है तो अम्पायर उसे रोक सकता है। इतना ही नहीं, यदि अम्पायर चाहे तो डेड बॉल का सिग्नल देकर बल्लेबाज को वापस भी बुला सकता है। आउट होने की अपील अगली डिलीवरी और रन-अप शुरू होने के दौरान भी की जा सकती है।
3) मैनकाडिंग
मैनकाडिंग की पहली घटना 1947 में तब हुई थी, जब भारतीय गेंदबाज, विनू मनकड़, ने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बिल ब्राउन को डिसमिस कर दिया था, तब से बल्लेबाज को डिसमिस करने के चलन को मैनकाडेड कहा जाने लगा है। ऐसा तब होता है जब गेंदबाज द्वारा बांह घुमाने तथा बॉल फेंकने से पहले ही बल्लेबाज क्रीज से आगे निकल आए। अंडर-19 विश्व कप 2016 के मैचे के दौरान वेस्टइंडीज के गेंदबाज कीमो पॉल ने ज़िम्बाब्वे के बल्लेबाज रिचर्ड नगरावा को अंतिम ओवर में मैनकाडेड कर दिया था। उस समय मैच रोमांच हो चुका था। क्वाटरफाइनल जीतने के लिए वेस्ट इंडीज को एक विकेट की आवश्यकता थी जबकि ज़िम्बाब्वे को केवल तीन रनों की। लेकिन तभी पॉल ने एक चतुराई भरा निर्णय लिया और यह नोटिस किया कि नगरावा ने क्रीज़ छोड़ दी है। इससे टूर्नामेंट वेस्ट इंडीज की झोली में पहुंच गया और उसे भारत को हराने का अवसर मिल गया।
एमसीसी के नियम 42.15 के अनुसार, बॉलर चाहे तो नॉन-स्ट्राइकर बल्लेबाज को रनआउट कर सकता है। हालांकि यह कोशिश कई बार सफल नहीं भी हो पाती है, तब इस बॉल को ओवर में नहीं गिना जाता है। यदि गेंदबाज नॉन-स्ट्राइकर को रनआउट करने में असफल रहता है तो अम्पायर को डेड बॉल की घोषणा कर देनी चाहिए।
4) फोरफीचर
फोरफीचर केवल लंबे फॉरमेट के खेल में लागू किया जाता है। इसे तभी लागू किया जा सकता है जब प्रत्येक टीम दो बैट की पारी खेल चुकी हो। ऐसा तब भी होता है, जब कप्तान टेस्ट मैच के दौरान अपनी पारी की घोषणा कर चुका हो।
इसका उदाहरण सन 2000 में हुए दक्षिण अफ्रीका के मैच में दिखा था, जब कप्तान हैंसी क्रोन्येने सेंचुरियन में हुए मैच में ब्रिटिश कप्तान नासिर हुसैन से बात की थी। बारिश की वजह से तीन दिनों का मैच धुल चुका था और दक्षिण अफ्रीका ने पहले दिन 6 विकेट के नुकसान पर 155 रन बनाए थे।
क्रोन्ये ने 248 रन के बाद फोरफीचर करते हुए पहली पारी की घोषणा कर दी थी। अब इंग्लैंड की टीम को बचे हुए आधे दिन में 249 रन बनाना थे जिसे उसने 2 विकेट से जीत लिया था। हालांकि इस मैच के बाद विवाद खड़ा हो गया था। क्रोन्ये ने बुक मेकर्स से संपर्क किया था जिसने कहा कि खेल तय था और परिणाम भी।
5) गुमी हुई गेंद
यदि गेंद खो जाए और फील्डिंग टीम उसे खोज न पए तो इस स्थिति को लॉस्ट बॉल कहा जाता है। नियमानुसार, ऐसे में उस डिलीवरी को 0 मान लिया जाता है और दूसरी गेंद से खेला जाता है। साथ ही बल्लेबाजी कर रही टीम को पेनाल्टी स्कोर दिया जाता है।