वनडे क्रिकेट में किसी भी टीम को दो डीआरएस मिलते है. एक डीआरएस किसी भी टीम को गेंदबाज करते वक्त मिलता है और एक डीआरएस टीम को बल्लेबाजी करते वक्त मिलता है.
वैसे तो क्रिकेट की भाषा में डीआरएस की फुल फॉर्म डिसीजन रिव्यू सिस्टम है, लेकिन अब क्रिकेट जगत ने डीआरएस का एक और नाम रख दिया है. अब क्रिकेट प्रसंशको डीआरएस को ‘धोनी रिव्यू सिस्टम’ के नाम से भी जानते है.
धोनी का डीआरएस में नहीं कोई सानी
डीआरएस का नाम धोनी रिव्यू सिस्टम इसलिए पड़ा है, क्योंकि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का डीआरएस लेने में मामले में कोई सानी नहीं है. जब भी भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी डीआरएस लेते है, तो वह 99% सही रहते है.
तीसरे वनडे मैच में भी दिखाया अपनी डीआरएस की समझ का जलवा
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे तीसरे वनडे मैच में भी अपने डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) लेने की समझ का जलवा दिखाया है.
दरअसल, धोनी को तीसरे वनडे मैच के दौरान मोईन अली के 31.3 ओवर में अंपायर ने एलपीडब्लू आउट करार दे दिया था, लेकिन धोनी ने अपने डीआरएस की समझ दिखाते हुए तुरंत डीआरएस ले लिया.
रिप्ले में जब तीसरे अंपायर ने देखा तो बॉल स्टंप को मिस कर रही थी और धोनी को इस तरह नॉट आउट करार दिया गया. धोनी ने एक बार फिर डीआरएस के मामले में अपनी समझ दिखाई है.
— vineet kishor (@vineetkishor2) July 17, 2018
आप इस वीडियो में देख सकते है, कि कैसे इंग्लैंड के स्पिन गेंदबाज मोईन अली की गेंद पर अंपायर ने धोनी को आउट करार दे दिया था और कैसे धोनी ने अपनी डीआरएस की समझ का फायदा उठाते हुए अपना कीमती विकेट बचा लिया. वैसे ऐसा पहली बार नहीं था, धोनी पहले भी कई बार अंपायर को डीआरएस के मामले में गलत साबित कर चुके है.
vineetarya
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