मुंबई रणजी टीम के कप्तान आदित्य तारे का मानना है कि बीसीसीआई को रणजी ट्रॉफी में तटस्थ क्यूरेटरों की जगह स्थानीय क्यूरेटरों को ही पिच तैयार करने का मौका देना चाहिए. बीसीसीआई ने घरेलू टीमों को अपने फायदे के लिए मनमाफिक पिच तैयार करने से रोकने के लिए पिछले साल तटस्थ क्यूरेटरों को पिच तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
तटस्थ क्यूरेटरों ने किया है अच्छा काम
बोर्ड ने आगामी सत्र में भी इस प्रयोग को जारी रखने का फैसला किया है. तारे हालांकि घरेलू हालात का फायदा उठाने में कुछ भी गलत नहीं मानते. तारे ने कहा,
“पिछले साल तटस्थ क्यूरेटरों ने अच्छा काम किया. मैं पिचों की शिकायत नहीं कर रहा। लेकिन मुझे साथ ही लगता है कि आपको स्थानीय क्यूरेटरों पर भी विचार करने की जरूरत है जिससे की पिच की असली प्रकृति को बचाया जा सके.”
स्थानीय क्यूरेटरों को पिच तैयार करने में नहीं है परेशानी
उन्होंने कहा,
“मुझे पूरी तरह से स्थानीय क्यूरेटरों के पिच तैयार करने में कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि इससे टीमों को घरेलू हालात का फायदा मिलता है. साथ ही जब आप विरोधी टीम के खिलाफ मैदान पर खेलते हो तो यह चुनौतीपूर्ण होता है और आप अपने मजबूत पक्षों के खिलाफ खेलते हो.”
तारे ने कहा, “टेस्ट क्रिकेट में भी घरेलू टीमें पिच तैयार करती है और मेहमान टीम को आकर चुनौतीपूर्ण हालात में खेलना होता है. घरेलू क्रिकेट में ऐसा क्यों नहीं हो.”
पिछले सत्र में किया है अच्छा प्रदर्शन
पिछले तीन-चार सत्रों में मैंने बल्ले और दस्ताने दोनों के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है. निराश है कि
“मैं दुलीप ट्रॉफी और ए स्क्वाड का हिस्सा नहीं हूं. बहुत से दौरे आ रहे हैं, लेकिन मुझे संभावित विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में नहीं माना जा रहा है. यह कुछ ऐसा है जो मुझे हर सीजन में काम करने और सुधारने की ज़रूरत है, ताकि मैं चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित कर सकूं. शायद सीजन में 600 रन पर्याप्त नहीं हैं. मुझे बहुत अधिक स्कोर करने की ज़रूरत है.”
तारे ने 61 फर्स्ट क्लास मैचों में 37.02 के औसत से 3554 रन बनाए हैं.