दुनिया जानती है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है. इसलिए दुनिया के सारे क्रिकेट बोर्ड भारत से खेलने के लिए उत्साहित रहते है. और वर्तमान में तो अगर कोई बोर्ड अगर भारत से खेलने को लेकर सबसे ज्यादा बेताब है. तो वो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड है. पीसीबी कई सालों से भारतीय बोर्ड को अपने संग सीरीज खेलने को लेकर मना रही है.श्रीलंका के खिलाफ मिली हार का गम भुलाने इस मिस्ट्री गर्ल के साथ डिनर डेट पर पहुँचे धोनी, तस्वीरे आई सामने
मगर सरकार की अनुमति ना होने के कारण भारतीय क्रिकेट बोर्ड से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को निराश होना पड़ रहा है. और अब तो भारत के खेल मंत्री विजय गोयल ने अपने एक इंटरव्यू में साफ कर दिया है कि चाहे कुछ भी हो जाये भारतीय टीम पाकिस्तान से खेलने की लक्ष्मण रेखा नहीं पार करेगी.
लक्ष्मण रेखा पार ना करने को लेकर ये कहा गोयल ने
भारत के खेल मंत्री विजय गोयल ने भारत पाकिस्तान सीरीज को लेकर कहा “हम क्रिकेट में पाकिस्तान से खेलने की लक्ष्मण रेखा कभी पार नहीं करेंगे. आतंगवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं हो सकता है. इसलिए हमने अपने बोर्ड से भी कह दिया है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के संग किसी तरह की कोई बातचीत ना करे.”
भारत के पीछे पड़ा है पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड
द्विपक्षीय सीरीज की मांग को लेकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड काफी समय से भारत के पीछे पड़ा है. अभी वर्तमान में ही आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी में भारत -पाकिस्तान के बीच हुए मैच में ही द्विपक्षीय सीरीज को लेकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआई के अधिकारियों से बात की. मगर इस बातचीत से भी पाकिस्तान को निराशा ही होगी. क्योंकि इस बातचीत के बाद अब भारत के खेल मंत्री विजय गोयल ने पाकिस्तान से खेलने को साफ मना कर दिया है.साउथ अफ्रीका के खिलाफ मैच से पहले विराट कोहली ने खेला माइंड गेम, अफ्रीका का इस जाल में फँसना तय
2015 से 2023 के बीच होनी थी छह द्विपक्षीय सीरीज
समझौता ज्ञापन के अनुसार पाकिस्तान और भारत को 2015 से 2023 के बीच 6 द्विपक्षीय सीरीज खेलना थी, लेकिन भारत ने अभी तक एक भी श्रृंखला नहीं खेली है, क्योंकि सरकार ने बीसीसीआई को पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट संबंधों को मंजूरी नहीं दी है.
पीसीबी ने माँगा था 6 करोड़ का मुआवजा
साल 2014 में समझौता ज्ञापन के तहत दोनों देशों के बीच 2015 से 2023 के बीच 6 द्विपक्षीय श्रृंखला का आयोजन होना था. पीसीबी ने 20 से 30 करोड़ डॉलर के नुकसान का आरोप लगाते हुए भारतीय बोर्ड से द्विपक्षीय श्रृंखलाएं न खेलने के तर्ज पर छह करोड़ डॉलर का मुआवजा मांगा था.