वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलियाके खिलाफ भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने सेमीफाइनल में खराब शॉट खेलकर विकेट गंवाने के कारण विराट कोहली का बचाव किया है, क्यूंकि वो आलोचकों के निशाने पर चल रहे.
धोनी नेसर्वाधिक 65 रन बनाए जबकि अन्य बल्लेबाज दबाव में नहीं चल पाए. इसलिए भारतीय टीम 329 रनके लक्ष्य का पीछा करते हुए 46.5 ओवर में 233 रन पर आल आउट हो गई. इनमें कोहलीभी शामिल हैं जिन्होंने एक रन बनाया.धोनी से काफी तरह के प्रश्नों में ये प्रश्न सामने रखा गया की कोहली का शॉट चयनक्या उन पर दबाव को दर्शाता है.
उन्होंने मैच के बादसंवाददाता सम्मेलन में साफ साफ़ कहा , पहली बात यह है कि हम सब को तिल का ताड़ नहीं बनाना चाहिए .बल्कि इसकी जगह अगर हम ये शब्द इस्तमाल करे की यह स्वीकार करो कि उसने ऐसा शॉट खेला जिससे फायदा नहीं मिला. ऐसा होता हैउसने एक शॉट खेला जो कामयाब नहीं रहा. क्रिकेट में ऐसाहोता है.और ऐसा सिर्फ हमारे साथ ही नहीं बल्कि बहुत से बल्लेबाजों के साथ होता है. उन्होंने सबको समझाते हुए ये भी कहा, एक बार जबविपक्षी टीम 300 से अधिक रन बना देती है और जब उसके पास बहुत अच्छे गेंदबाजहों तो कभी न कभी आपको ये रिस्क लेना होता है. और लक की बात है यदि यह चल गया तो फिर अचानक सबकुछ बदल जाता है.
वहीँ कप्तान धोनी ने इस बात को स्वीकार किया कि जहां तक गेंदबाजों का सवाल है तो कुछ हल्कीचोटों से परेशान थे लेकिन यह बहूत बड़ी समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, जहां तकफिटनेस की बात सामने आती है तो तब सवाल फिटनेस के साथ साथ गेंदबाजों के साथ थोड़ी बहुत समस्या होती है लेकिनमेरे ख्याल से पूरी टीम शत प्रतिशत फिट है. तेज गेंदबाजों को थोड़ी बहूत परेशानी उठानी होती है लेकिनऐसा बिलकुल नहीं है कि इससे वे खेल नहीं पाएं या वो काबिल नहीं थे इसलिए फिटनेस को लेकर ऐसा कोई मसलानहीं था.
इसके अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्रसिंह धोनी फाइनल में जगह न बना पाने पर अपने दुःख को जाहीर करते हुए कहा और दुःख जताते हुए कहा कि पूरी टीमको इसका वाकई में बहुत दुःख है. हाँ ये बात तो बिलकुल सही है कि टेस्ट मैचों और त्रिकोणीय श्रृंखला मेंनतीजे हमारे अनुसार नहीं रहे. ऐसे में फिटनेस के साथ ये भी जरूरी था कि ड्रेसिंग रूम का माहौलअच्छा रहे और सभी सदस्यों के अलावा सहायक स्टाफ ने इसमें अच्छी भूमिकानिभाई. अगर ऐसा नहीं होता तो वापसी करना सच में बिलकुल आसान नहीं होता.