दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों की बेइज्जती करना रवि शास्त्री को पड़ा महंगा, इस प्रसंशक ने लिखा शास्त्री के नाम खुला खत 1
Bengaluru : Indian Cricket Team Director Ravi Shashtri addresses media during the training camp for the upcoming series against South Africa at NCA in Bengaluru on Friday. PTI Photo by Shailendra Bhojak (PTI9_25_2015_000099B)

हाल में ही भारत ने श्रीलंका को उसी की धरती पर 304 रन की करारी हार दी है. इस हरार के बाद से टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री काफी ज्यादा खुश नज़र आ रहें हैं. दूसरे टेस्ट मैच शुरू होने से पहले रवि शास्त्री को युवा टीम को सर्वकालिक टेस्ट की सर्वश्रेष्ठ टीम बता दिया हैं. जिसके बाद एक क्रिकेट प्रेमी धर्मेन्द्र पंत ने उनके नाम एक पत्र लिखा है. इस पत्र में वो रवि शास्त्री की आलोचना करते हुए नज़र आ रहें हैं.

रवि शास्त्री की कड़े शब्दों में की है आलोचना 

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दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों की बेइज्जती करना रवि शास्त्री को पड़ा महंगा, इस प्रसंशक ने लिखा शास्त्री के नाम खुला खत 2

प्रिय रवि शास्त्री,

निसंदेह विराट कोहली ने कप्तान के रूप में अब तक अच्छी उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन आपका श्रीलंका में 2015 की जीत के संदर्भ में यह कहना कि इस टीम ने वह कर दिखाया जो अतीत की कई टीमें नहीं कर पायी, गले नहीं उतर पाया। कोच साहब आप तो 1968 में मंसूर अली खां पटौदी की टीम की न्यूजीलैंड में 3-1 की जीत तथा 1971 में अजित वाडेकर की टीम की वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक जीत काे भूल गये। कपिल देव की अगुवाई में 1986 में इंग्लैंड में 2-0 की जीत तो आपको याद रहनी चाहिए थी आखिर आप भी तो उसका हिस्सा थे। मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान को 2004 में उसकी सरजमीं पर दो टेस्ट मैचों में हराना कोई कम करके आंक सकता है जब सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने टीम की कप्तानी की थी। तब आपने भी टीम की जमकर सराहना की थी। द्रविड़ की अगुवाई में भारत ने वेस्टइंडीज और इंग्लैंड को भी उसकी सरजमीं पर हराकर श्रृंखला जीती थी। मेरी नजर में 1977-78 में बिशन सिंह बेदी की अगुवाई वाली टीम की आस्ट्रेलिया में दो टेस्ट मैचों में जीत या अनिल कुंबले की टीम की 2007-08 में पर्थ में जीत का काफी ऊंचा स्थान है। गांगुली की टीम ने इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया में श्रृंखला ड्रा करवायी थी। महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में टीम ने न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज में जीत दर्ज की थी। और हां आपको याद दिलाना चाहता हूं कि श्रीलंका में 2015 में पहली बार भारत श्रृंखला नहीं जीता था। यह कमाल तो 1993 में मोहम्मद अजहरूद्दीन की टीम ने भी कर दिया था। फिर 2015 में जिस श्रीलंकाई टीम से भारत खेला था उसमें वे दिग्गज खिलाड़ी शामिल नहीं थे जो श्रीलंका की शान हुआ करते थे। आप जिन वर्षों की बात कर रहे हैं। उनमें भारत ने श्रीलंका में जिस टीम का सामना किया था उसमें अर्जुन रणतुंगा, अरविंद डिसिल्वा, रोशन महानामा, सनथ जयसूर्या, मुथैया मुरलीधरन, चामिंडा वास, माहेला जयवर्धने, मर्वन अटापट्टू, कुमार संगकारा, तिलन समरवीरा जैसे चोटी के खिलाड़ी थे। यह वह दौर था जब पाकिस्तान को छोड़कर किसी भी अन्य टीम के लिये श्रीलंका में जीतना बहुत मुश्किल हुआ करता था। आप जिस श्रृंखला की बात कर रहे हैं वह तो श्रीलंका की टीम के बदलाव के दौर की शुरूआत थी। शास्त्री साहब मैं आंकड़ों और तर्कों की लंबी फेहरिश्त मैं यहां पर पेश कर सकता हूं। बस लब्बाेलुआब यही है कि भले ही आपने टीम का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसा कहा हो लेकिन इसके मायने और भी लगाये जा रहे हैं। यह टीम वास्तव में दमदार है। इसमें मध्यक्रम में तीन बेहतरीन बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा, कोहली और अजिंक्य रहाणे हैं। इसका आक्रमण पूर्व की टीमों की तुलना में बेहद संतुलित है। यह दुनिया की किसी भी टीम को हराने का माद्दा रखती है लेकिन इस सच को भी नहीं नकारा जा सकता है कि अभी इसका मुकाबला श्रीलंका की सबसे कमजोर टीम से हो रहा है। यह भी सच है कि अभी इस टीम की दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में परीक्षा नहीं हुई है।
आपको और टीम को मेरी शुभकामनाएं।
 एक क्रिकेट प्रेमी 
                                                                                                                                                                                धर्मेन्द्र पंत

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सौरव गांगुली भी कह चुके है यही बात 

दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों की बेइज्जती करना रवि शास्त्री को पड़ा महंगा, इस प्रसंशक ने लिखा शास्त्री के नाम खुला खत 3

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भारतीय टीम का प्रदर्शन पिछले कुछ समय बेहद शानदार रहा हैं. ऐसे में जब भारत के महान कप्तान सौरव गांगुली ने टीम के प्रदर्शन को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा था कि इसमें कोई शक नही है कि भारत इस समय बेहद अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन जब तक खिलाड़ी खुद को विदेशी पिचों पर साबित नही कर देते है तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.