साल 1979 के समय खेले गए एक एकदिवसीय मैच के दौरान एक ऐसा वाकया सामने आया जिसने क्रिकेट के खेल को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. यह मैच था, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच, कैरेबियाई टीम को आख़िरी गेंद पर जीत के लिए 3 रन बनाने थे, लेकिन इंग्लैंड के कप्तान माइक ब्रेअर्ली ने उस मैच में कुछ ऐसा किया, जिससे वेस्टइंडीज की जीत बिलकुल नामुमकिन हो गयी.
माइक ब्रेअर्ली को क्रिकेट की दुनिया में काफी चतुर माना जाता था, और उन्होंने उस मैच की आख़िरी गेंद पर अपने सभी फील्डर (विकेटकीपर समेत) को बाउंड्री पर खड़ा कर दिया. जिसके कारण वेस्टइंडीज के लिए मैच जीतना बेहद मुश्किल हो गया, और इंग्लैंड ने मैच दो रन से जीत लिया.
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माइक का यह फैसला नियमों के आधीन था, लेकिन क्रिकेट की सबसे बड़ी कमिटी को यह पता चल गया था, कि अब सही समय आ गया है, नियमों में परिवर्तन लाने का और उन्होंने नियम बदल डाले.
फील्डिंग रेस्ट्रिकशन पहली बार बेंसन एंड हेजेस कप में अपनाया गया था, जोकि ऑस्ट्रेलिया में हुआ था. उसके बाद 1992 विश्वकप के बाद से सभी एकदिवसीय, मैचों में इस नियम को अपनाया गया. समय के साथ क्रिकेट में काफी बदलाव आये है, खेल में पहला बदलाव कुछ इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच हुए मैच जैसे वाक्य को रोक सके लेकिन उसके बाद खेल को रोमांचक बनाने के लिए भी कई बदलाव किये गए.
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1992 में केवल दो ही खिलाड़ी तीस गज के घेरे के बाहर 15 ओवर तक खड़े हो सकते थे, जबकि बाकी के ओवर के लिए पांच खिलाड़ी घेरे से बाहर खड़े हो सकते थे. 2005 में इस नियम में बदलाव किया गया, और फील्ड पर लगी पाबंधियों को 15 से 10 ओवर कर दिया गया, और पांच ओवर का पॉवर प्ले हुआ करता था. उसे फील्डिंग टीम 15 से 50 ओवर तक कभी भी इस्तेमाल कर सकती थी.
साल 2011 आते आते नियमों में फिर बदलाव देखने को मिला, और इन पांच ओवेरों को 16 से 40 ओवर के बीच लेने को लागू किया गया.
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अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट संघ (आईसीसी) ने साल 2012 में आधिकारिक रूप से बदलाव वनडे क्रिकेट में लागू किए. फील्ड रेस्ट्रिकशन को तीन की जगह दो बार में तब्दील किया गया, इस नियम के तहत फील्डिंग टीम को शुरू के दस ओवर केवल दो ही फील्डर तीस गज के घेरे के बाहर रखने की अनुमति थी और बल्लेबाज़ी करने वाली टीम के पास, 11 वें ओवर से 40वें ओवर तक कभी भी लेने का विकल्प था. बैटिंग पॉवरप्ले के दौरान तीन फील्डर तीस गज के घेरे के बाहर खड़े रह सकते थे, जबकि आख़िरी दस ओवर में चार खिलाड़ी ही बाउंड्री लाइन पर लगा सकने का नियम था.
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2015 में आईसीसी ने एक बार फिर से नियम में बदलाव करते हुए, इस बार गेंदबाजों के हित में फैसला किया, और बैटिंग पॉवरप्ले को ख़त्म किया साथ ही आख़िरी दस ओवर के लिए पांच खिलाड़ियों को बाउंड्री पर लगाने की अनुमति दी.