सब ही जानते हैं की भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी की बीसीसीआई सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है. बीसीसीआई ने बहुत सही ढंग से भारतीय क्रिकेट को सवारा है. अब हम बताते हैं, ऐसी टीम के बारे में’ जो लॉर्ड्स के मैदान पर अभी इंग्लैंड के विरुद्ध खेल रही है. कल के मैच में जिस प्रकार आयरलैंड ने इस बार की विश्व कप चैंपियन इंग्लैंड की जिस तरह हालत पतली की है इसके बाद से सब आयरलैंड के दीवाने हो गए पर हम बताते हैं आपको कि इस टीम को इस मुकाम तक पहुंचाने वाला कोई और नहीं एक भारतीय है.
आखिर कौन है वो आयरलैंड में बसा भारतीय
वो कोई और नहीं शापोरजी पालोनजी मिस्त्री हैं जो आज से करीब 16 साल पहले भारत से आयरलैंड जाकर बस गए. उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली है. उनकी आर्थिक मदद से ही आयरिश क्रिकेट अपने पैरों पर खड़ी हो सकी और वहां घरेलू क्रिकेटा का ढांचा खड़ा हो सका है.
पालोनजी का बिजनेस पूरी दुनिया में फैला हुआ है. खासकर भारत में उनका बड़ा बिजनेस है. संपत्ति का बड़ा हिस्सा भारत में ही है. पालोनजी के परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं. दो बेटों में एक सायरस मिस्त्री टाटा ग्रुप के चेयरमैन रह चुके हैं तो शापोर एसपी ग्रुप की कामकाज देखते हैं.
इस प्रकार संभाली आयरलैंड क्रिकेट की कमान
इंसान उसको कभी नहीं भूलता जो मुसीबत में उसका साथ देता हो. आयरलैंड क्रिकेट को उन्होंने करीब डेढ़ दशकों से संभाल रखा है. चार साल पहले उनकी कंपनी ने फिर क्रिकेट आयरलैंड के साथ दस साल की कई करोड़ यूरो की डील की है.
इतना ही नहीं आयरलैंड के क्रिकेटर मानते हैं कि उनके देश की क्रिकेट टीम आज जहां तक भी पहुंची है, उसका श्रेय पालोनजी को ही जाता है. पालोनजी ने आयरलैंड क्रिकेट को लगातार बड़ी आर्थिक मदद की है. इनका ज्यादा तक समय भारत के पुणे में या फिर आयरलैंड में ही बीतता है.
मुंबई और पुणे से है पालोनजी का नाता
फोर्ब्स के अनुसार वर्ष 2017 में शापोरजी पालोनजी के पास कुल 18.7 बिलियन डॉलर की संपत्ति थी. दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप टाटा में उनके सबसे ज्यादा 18.4 फीसदी शेयर हैं, इसके अलावा वो भारत की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी शापोरजी पालोनजी ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं.
करीब 140 पुरानी ये कंपनी उनके बाबा ने 1865 में एक अंग्रेज के साथ मिलकर शुरू की थी. तब इसका नाम लिटिलवुड्स पालोनजी एंड कंपनी था. इसने मुंबई के फोर्ट कई बड़ी ऐतिहासिक इमारतें और होटल बनाए, जो आज भी देखते बनते हैं. कहा जा सकता है कि मुंबई की ज्यादातर बड़ी इमारतें इसी कंपनी के हाथों बनी हुई हैं.