भारतीय क्रिकेट टीम में महेन्द्र सिंह धोनी से भी पहले डेब्यू करने वाले भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया है। भारत के लिए साल 2002 में महेन्द्र सिंह धोनी से भी पहले विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में पार्थिव पटेल ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रख दिया था।
पार्थिव पटेल ने 35 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट से लिया संन्यास
गुजरात के अनुभवी खिलाड़ी और गुजरात को रणजी चैंपियन बनाने वाले कप्तान रहे पार्थिव पटेल ने अपनी 35 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट को बुधवार को अलविदा कहने का फैसला किया। इसके साथ ही उनके 18 साल के करियर का अंत हुआ।
पार्थिव पटेल ने केवल 17 साल की उम्र में ही इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू कर लिया था, जब उन्हें 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में आगाज करने का मौका मिला था। लेकिन उन्हें भारतीय टीम में कभी भी निरंतर मौके नहीं मिले। उन्होंने अपना अंतिम मैच 2018 में खेला था।
पार्थिव पटेल ने बीसीसीआई और अपने कप्तानों को दिया धन्यवाद
पार्थिव पटेल ने बुधवार सुबह ट्वीटर के माध्यम से अपने संन्यास का ऐलान किया। जिसमें उन्होंने एक पत्र शेयर किया है। पार्थिव पटेल ने भारत के लिए 2 टी20, 38 वनडे और 25 टेस्ट मैच खेले। लेकिन धोनी के टीम में आने से वो अपनी जगह को कभी भी बरकरार नहीं रख सके।
— parthiv patel (@parthiv9) December 9, 2020
उन्होंने ट्वीटर पर अपने करियर के दौरान रहे सभी कप्तानों का शुक्रगुजार माना है, तो साथ ही बीसीसीआई को भी धन्यवाद दिया।
सौरव गांगुली को खासतौर पर दिया अपने करियर का श्रेय
पार्थिव पटेल ने ट्वीटर पर लिखा कि
“मैं आज अपने 18 साल लंबे क्रिकेट करियर को अलविदा कह रहा हूं। बीसीसीआई ने मुझ पर भरोसा जताते हुए 17 साल की उम्र में ही टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका दिया। बीसीसीआई ने जिस तरह से मेरा साथ दिया है उसके लिए मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा।”
इसके अलावा पार्थिव ने खासतौर पर अपने कप्तान सौरव गांगुली को बड़ा श्रेय देते हुए लिखा कि
”दादा का मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा। एक कप्तान के तौर गांगुली ने हमेशा मेरा साथ दिया और उनके साथ खेलना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही।