भारत के लेफ्ट आर्म स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने पिंक बॉल को लेकर कहा की जब ओस के कारण गेंद गीली हो गयी थी तो उसे पकड़ना बेहद मुश्किल हो गया था.
पिंक बॉल से पहली बार भारत में क्रिकेट खेला जा रहा है, भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इस साल दुलीप ट्राफी में पहली बार पिंक बॉल का इस्तेमाल करने के फैसला किया. दुलीप ट्राफी के पहले मैच में कई भारतीय (जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके है) खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया.
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पिंक बॉल को लेकर सभी ने अपनी अपनी राय राखी, इसी बीच अनुभवी लेफ्ट आर्म स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने भी पिंक बॉल को लेकर अपनी प्रतिक्रिया राखी. ओझा जिन्होंने पहले मैच में 5 विकेट चटकाए थे, वो अभी इस बात पर विश्वास नहीं जाता रहे कि यह सही समय है अंतर्राष्ट्रीय मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल करना.“आख़िरी सत्र जब 2 घंटे के लिए बढ़ा दिया गया वह मुझे काफी अजीब लगा.”
स्पिनर्स के अनुकूल नोएडा के मैदान पर स्पिनर्स ने मैच में 21 विकेट चटकाए, जिसमे कुल्दीप यादव और श्रेयस गोपाल ने पारी में पांच विकेट लिए. यह दोनों गेंदबाज़ उँगलियों से ज्यादा कलाई का इस्तेमाल करते है.
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ओझा का कहना था कि
“मैं एक ऐसा स्पिनर हूं जो उँगलियों का इस्तेमाल करके गेंदबाज़ी करता है, और मेरे लिए शाम के समय गेंद को ग्रिप करना मुश्किल हो गया था , लाल गेंद जल्दी पुरानी हो जाती है और अपनी चमक भी जल्दी खो देती है लेकिन पिंक गेंद के साथ ऐसा नहीं है और इसी वजह से उसे पकड़ना और टर्न कराना मुश्किल था. कुलदीप और श्रेयस ने अच्छी गेंदबाज़ी की, यह दोनों खिलाड़ी कलाई से गेंदबाज़ी करते है इसलिए इन्हें गेंद को ग्रिप करने में कोई परेशानी नहीं हुई और इन्हें एक्स्ट्रा बाउंस भी मिला.”
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ओझा ने पिंक गेंद को लेकर एक और परेशानी बताई, उनका कहना था कि सर्दियों के समय भारतीय उपमहाद्वीप में काफी ओस पड़ती है
” तेज़ गेंदबाजों ने ज़रूर इस गेंद से अच्छी गेंदबाज़ी किया लेकिन लाइट्स के निचे, ड्यू (ओस) गेंदबाजों के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर सकती है. क्योंकि गेंद जब एक बार गीली हो जाये तो उसे ग्रिप करना नामुमकिन है.”