एमएसके प्रसाद

आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि मीडिया की सुर्खिया पर हमेशा क्रिकेटर या टीम के कोच की खबरें छाई रहती है, ऐसा बहुत कम ही होता है कि कभी क्रिकेट के चयनकर्ताओं की खबरें मीडिया में छाई रहें। वहीं बात अगर मौजूदा समय की जाए तो उल्टा हो रहा है। इस समय जितनी न्यूज क्रिकेटर की नहीं आ रही है, उससे कहीं ज्यादा खबर उसके मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद की आ रही है।

गलत फैसलें लेने पर उठ रहे हैं सवाल

एमएसके प्रसाद

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विश्व कप में मिली दिल तोड़ देने वाली हार के बाद और अच्छे क्रिकेटरों को मौका न देने के कारण उनपर और उनकी योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं , कि सेलेक्शन टीम के द्वारा खिलाड़ी का चयन सही तरह से नहीं हुआ।

इसलिए बड़े-बड़े मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि आपको बता दे की एमएसके प्रसाद इस समय इंडिया टीम के सेलेक्टर है। इन्होंने वर्ल्डकप 2019 और वेस्टइंडीज के खिलाफ हो रहे मैचों में खिलाड़ियों का चयन किया। जिस पर लोग सवाल उठ रहे हैं।

क्रिकेट फैन कर रहे हैं प्रतिक्रिया व्यक्त

एसएसके प्रसाद

हालांकि किसी मैच कि जीतने व हारने में हमेशा दोषी खेलने वाले खिलाड़ी व बल्लेबाज को मानते हैं, लेकिन मौजूदा समय में क्रिकेट के फैन अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहते हैं कि हमारे खिलाड़ी तो ठीक बस कमी तो सेलेक्ट करने वाली टीम में है, जिन्होंने सही तरह से सेलेक्ट नहीं किया।

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एमएसके प्रसाद का क्रिकेट करियर नहीं रहा शानदार

बात अगर एमएसके प्रसाद के क्रिकेट जीवन की जाए तो वह बहुत शानदार नहीं था। एक तरह से उनके क्रिकेट जीवन को आप असफल क्रिकेट जीवन भी कह सकते हैं। प्रसाद बाएं हाथ के गेंदबाद और बल्लेबाज हैं। इन्होंने विकेट कीपर के रूप में भी टीम में खेला है। वहीं अगर उनके द्वारा खेले गए मैच की संख्या की बात करे तो वह बहुत खराब थी।

एमएसके प्रसाद

उन्होंने पहली बार मैच 1998 में बांग्लादेश के खिलाफ था, जो एकदिवसीय मैच था। एक तरह से ऐसा कहा जा सकता है यह उनका डेब्यू मैच था। इसके बाद उन्होंने 17 वनडे और छह टेस्ट मैच खेले। जिसमें उन्होंने बड़ी धीमी गति से बल्लेबाजी के कारण बहुत कम रन ही बना पाए। उन्होंने दो साल तक टीम का प्रतिनिधित्व भी किया था। हालांकि विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में वे बहुत ज्यादा चमक नहींं सके।

विरोध के बीच हुआ था उनका चयन

साल 2016 में बीसीसीआई की मुंबई में हुई 87 वीं बैठक में क्रिकेट का मुख्य चयनकर्ता चुना गया था। इस चयनसमिति में पांच लोग बैठे थे, जिसमें से तीन लोगों ने एमएसके के पक्ष में वोटिंग की थी। जिसके बाद वह क्रिकेट के ये मुख्य चयनकर्ता बन गए थे।