अनिल कुंबले के इस्तीफ़ा देने के बाद आरोपों का सिलसिला थमने के नाम ही नहीं ले रहा है, आये दिन कोई न कोई कुंबले या विराट को इस पुरे मामले का ज़िम्मेदार ठहरा कर मामले को फिर से तुल दे देता है.
ऐसा ही कुछ मंगलवार को देखने को मिला, जब टीम इंडिया के मौजूदा फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने बतौर कोच आपको कैसा होना चाहिए, इस बात पर बयान देकर एक बार फिर इस मामले को तुल दे दी है. फिर सुर्ख़ियों में आई दिशा पाटनी, धोनी, युवराज और कोहली के लिए कुछ इस तरह व्यक्त की अपनी प्रतिक्रिया
कोच की भूमिका पर बोले श्रीधर
टीम इंडिया के फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने अनिल कुंबले के कोचिंग के तरीके पर सवाल उठाए है और कहा है, कि मौजूदा दौर में आपको बतौर कोच ऐसा होना चाहिए, कि आप खिलाड़ियों की मानसिकता के ही मुताबिक चले, आपको हर खिलाड़ी को इस तरह रखना आना चाहिए, कि वो कैसी भी परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके.
श्रीधर न कहा, “आज कल के क्रिकेट में आपको हर खिलाड़ी की मानसिकता का पता होना चाहिए, आपको हर खिलाड़ी की मांग के अनुसार खुद को ढालना आना चाहिए, और आपको टीम को इस तरह रखना चाहिए, कि सभी खिलाड़ी सही सोच के साथ मैदान पर उतरे.”
मौजूदा टीम में खिलाड़ियों के कारण कोच की भूमिका अलग
श्रीधर ने आगे मौजूदा खिलाड़ियों के बारे में बात करते हुए कहा, कि इस टीम में इस समय ऐसे खिलाड़ी है, जिनके पास काफी अच्छा अनुभव है और हमे मौजूदा दौर में सभी खिलाड़ियों से बात कर के ही कोई निर्णय लेना चाहिए, वही टीम के लिए सबसे बेहतर रहेगा. आर श्रीधर रवि शास्त्री और अनिल कुंबले दोनों के साथ काम कर चूके है और ऐसे उनसे बेहतर और कोई नहीं बता सकता, कि दोनों में क्या अंतर है.
कुंबले और शास्त्री में अंतर पर बोलते हुए श्रीधर ने कहा
टीम इंडिया के फील्डिंग कोच ने रवि शास्त्री और अनिल कुंबले के बारे में बात करते हुए कहा, कि “कुंबले और शास्त्री दोनों का एक ही मसकद था, भारतीय टीम को विश्व में नंबर एक बनाना, लेकिन दोनों का तरीका थोड़ा अलग था.” दीपिका पादुकोण और श्रद्धा कपूर नहीं बल्कि इस अभिनेत्री के जबरा फैन है गौतम गंभीर
उन्होंने आगे कहा, “शास्त्री के समय पर वो टीम में करैक्टर खोजते थे और उनका सफलता हासिल करने का एक अपना अलग तरीका था, जिसपर वो काम करना चाहते थे और कुंबले का तरीका उनसे बिलकुल अलग था.”
अंत में श्रीधर ने दोनों की तारीफ करते हुए कहा, “जब आप मुख्य कोच नही होते तो आपके लिए काम आसान हो जाता है, आपको कठिन निर्णय नहीं लेने पड़ते और ऐसा ही कुछ इन दोनों दिग्गजों के साथ भी हुआ, दोनों ने ही मुझे अपना काम करने की पूरी छूट दी और कभी मेरे काम में दखलंदाजी नहीं की.”