इरादा था कुछ कर गुजरने का, ये सफर हुआ दो महीनें पहले शुरू और अपनी इस यात्रा में कड़ी मेहनत और मजबूत इरादें के साथ आखिर पहली बार ऐसा कारनामा कर दिखाया जो एक इतिहास बन गया… जी हां ये है भारतीय घरेलु क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का नया विजेता विदर्भ की कहानी….. रणजी ट्रॉफी के इतिहास में विदर्भ के रूप में अब एक नया चैंपियन मिल गया है।
रणजी के रण में नई टीम विदर्भ का उदय
भारतीय घरेलु क्रिकेट से सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी के सीजन 2017-18 के खिताबी मुकाबलें में 7 बार की चैंपियन दिल्ली के खिलाफ खिताबी मुकाबलें में जबरदस्त विजयी पताका फहराकर विदर्भ की टीम ने पहली बार रणजी के रण को जीत लिया है। विदर्भ ने इस पूरे सीजन में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए अपने इस विजयी सफर को शुरूआत से लगाकर लगातार मजबूती के साथ जारी रखा और पहले खिताब जीतने का स्वाद चखकर ही दम लिया। और फाइनल मैच में 9 विकेट से शानदार जीत हासिल की।
विदर्भ ने दिल्ली को 9 विकेट से हराकर जीता पहली बार रणजी खिताब
इंदौर के होल्कर स्टेडियम में दिल्ली और विदर्भ के बीच खिताबी मुकाबला खेला गया। जहां दिल्ली की टीम ने सात बार रणजी के रण को जीता था वहीं विदर्भ की टीम अपने रणजी इतिहास में पहली बार फाइनल मैच खेल रही थी। लेकिन विदर्भ के खिलाड़ियों में एक मजबूत इरादा था और वो निर्णायक मुकाबलें में हर दिन के साथ जीत की ओर कदम बढ़ाते गए और आखिर चौथे दिन की समाप्ति होतो-होते रणजी के विजेता टीमों के इतिहास में अपना नाम भी दर्ज करवा लिया।
विदर्भ ने खिताबी मुकाबलें में पहले दिन से बनाया दबाव
विदर्भ ने दिल्ली की टीम को पहले बल्लेबाजी करने के बाद पहली पारी में केवल 295 के स्कोर पर ही रोक दिया। रणजी की नई सनसनी रजनीश गुरबानी ने एक बार फिर अपना कहर बरपाते हुए दिल्ली की पहली पारी में 6 बल्लेबाजों को पैवेलियन लौटाया जिसमें हैट्रिक भी शामिल रही। विदर्भ ने अपनी पहली पारी में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 547 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर भारी बढ़त बना ली।
रणजी टूर्नामेंट में मिल गया नया चैंपियन
दिल्ली की टीम इस भारी बढ़त के सामनें पूरी तरह से दबाव में आ गई और दूसरी पारी में बुरी तरह से बिखर गई जैसे-तैसे दिल्ली की टीम ने पहली पारी के आधार पर मिली बढ़त को तो पार किया लेकिव 280 रनों पर सिमट गई। दिल्ली के आउट होने के साथ ही विदर्भ को जीत के लिए केवल 29 रनों का लक्ष्य मिला जो महज औपचारिकता भर था। इस औपचारिकता को विदर्भ ने एक विकेट खोने के बाद 5 ओवर में ही पूरा कर लिया। इसके बाद जहां विदर्भ के खेमे में पहली बार जीत का जश्न शुरू हो गया तो वहीं दिल्ली अपनी करनी को कोस रहा था। चौथे ही दिन विदर्भ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली बार रणजी ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया।