राशिद खान के कोच ने बताया कि कैसे टायर की दुकान चलाने वाले का बेटा बन गया स्टार 1

इस समय टी-20 के नंबर एक गेंदबाज राशिद खान की गुगली को समझ पाना बल्लेबाजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है. दूसरे क्वालीफायर मैच में राशिद ने अपने दमदार प्रदर्शन की मदद से सनराइजर्स हैदराबाद को जीत दिलायी थी. इस मैच में राशिद ने किफायती गेंदबाजी करते हुए चार ओवर में 19 रन देकर तीन विकेट झटके थे. जबकि इससे पहले धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए 10 गेंदों पर 34 रन बनाकर टीम के स्कोर को एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य तक पहुँचाया था.

अफगानिस्तान के राशिद खान के लिए गन कल्चर से निकल कर एक क्रिकेटर बनना आसान नही रहा. राशिद के क्रिकेटर बनने की कहानी कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा दे सकती है.

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आठ सालों तक पाकिस्तान के रिफ्यूजी कैम्प में रहे 

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2001 में शुरू हुए अफगान वार के चलते राशिद को परिवार के साथ करीब आठ साल तक पाकिस्तान रिफ्यूजी कैम्प में रहना पड़ा. कैम्प में केवल एक घर में ही टीवी थी. राशिद चोरी छुपकर क्रिकेट मैच देख लिया करते थे. यहीं से वह क्रिकेट के दीवाने हो गए. उनके पिता की टायर की दूकान थी. वही कभी-कभी अपने पिता की मदद के लिए दुकान पर जाया करते थे.

टीवी पर क्रिकेट देखने के बाद राशिद लकड़ी के पटरे से उसी तरह से खेलने का प्रयास करते थे. इसी दौरान उन्होंने अफरीदी को अपना आईडल मान लिया था. 10 भाई-बहनों में से एक राशिद की टीवी देखकर की जाने वाली प्रैक्टिस रिफ्यूजी कैम्प में पूरे 8 साल तक चली. राशिद के सभी भाई लेग स्पिन कराया करते थे.

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माँ बनाना चाहती थी डॉक्टर 

राशिद टेनिस बॉल से प्रैक्टिस किया करते थे. उनकी माँ को डर रहता था कि ये बॉल उनके बेटे का चेहरा ना बिगाड़ दे, इसलिए वह राशिद को डॉक्टर बनाना चाहती थी. इसके लिए उनपर दवाब भी डाला गया, लेकिन राशिद के भाई बहन ने उन्हें क्रिकेट के लिए सपोर्ट किया. जिसके बाद उनकी माँ मान गयीं थीं.

पहले ट्रायल मैच में कर दिया गया था मना 

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राशिद के पहले कोच दौलत खान अहमद जई के मुताबकि, 2012 में जब जलालाबाद में एक सेलेक्शन ट्रायल में राशिद ने हिस्सा लिया था, तो उनके प्रदर्शन को देख कर उन्हें मना कर दिया गया था. अहमदजई ने अपनी गारंटी पर राशिद को एंट्री दिलवाई थी.

अहमदजई से कोचिंग लेने के अलावा राशिद घर से 30 किमी दूर बने नानगरहर क्रिकेट एकेडमी में भी प्रैक्टिस करने जाया करते थे.

ऐसा मिला इंटरनेशनल टीम में मौका 

2015 में पाकिस्तानी क्रिकेटर इंजमाम उल हक अफगानिस्तान के हेड कोच बने. उन्हें जिम्बाब्वे के लिए टीम चुननी थी. इस दौरान अहमदजई ने राशिद का नाम इंजमाम के सामने रखा, लेकिन वह नही माने. इसके बाद उस समय के अफगानिस्तान टीम के कप्तान अश्गर स्टैनिकजई को बॉलिंग कराने के लिए कहा गया. अश्गर राशिद की गेंदबाजी देखकर हैरान रह गए. फिर अश्गर और स्टैनिकजई के कहने पर इंजमाम मान गए और राशिद को इंटरनेशनल टीम में मैच खेलना का मौका मिला. इसके बाद राशिद ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया.

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2016 में बांग्लादेश लीग के दौरान कुमार संगकारा की नजरें राशिद खान के प्रदर्शन गयीं. इसका जिक्र उन्होंने मुथैया मुरलीधरन से किया. मुरलीधरन और टॉम मूडी उसी समय से राशिद के प्रदर्शन पर नजरे रखने लगे. इसके बाद 2017 में सनराइजर्स हैदराबाद के कोच टॉम मूडी ने राशिद को चार करोड़ में खरीदा. आईपीएल में राशिद ने अपनी एक खास पहचान बनायी और इस समय वह दुनिया के खतरनाक गेंदबाजों में से एक हैं.