क्रिकेट जगत के सबसे बड़े टी20 क्रिकेट लीग इंडियन प्रीमियर लीग की एक बहुत ही बड़ी खूबसूरती रही है। आईपीएल अपनी शुरुआत से ही इस सुंदरता को साथ लेकर चल रहा है। ये खूबसूरती है… युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करना, हर सीजन में आईपीएल में कई युवा खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को साबित करते नजर आते हैं।
रवि बिश्नोई ने किया आईपीएल डेब्यू
इसी तरह से आईपीएल के 13वें सीजन में भी ऐसे कई युवा खिलाड़ी हैं जो अपने आपको आगे लाना चाहते हैं। जिसकी शुरुआत रविवार को किंग्स इलेवन पंजाब और दिल्ली कैपिटल्स के मैच में हुई। इस मैच में भारत के एक युवा खिलाड़ी ने अपना आईपीएल डेब्यू किया।
आईपीएल का डेब्यू करने वाले हैं राजस्थान के युवा स्पिन गेंदबाज रवि बिश्नोई… किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से रवि बिश्नोई रविवार को दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ खेलने उतरे तो ये उनके लिए एक बहुत ही खास पल था।
डेब्यू मैच में रवि बिश्नोई ने किया ऋषभ पंत को बोल्ड
आईपीएल के 13वें सीजन के दूसरे ही मैच में किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से रवि बिश्नोई ने अपनी प्रतिभा को साबित करके दिखा दिया। उन्होंने अपने डेब्यू मैच में ही कुछ ऐसा कमाल किया कि दिग्गज गेंदबाज रहे अनिल कुंबले तक खड़े होकर तालियां बजाने से नहीं चूके।
अंडर-19 विश्व कप में जलवा दिखाने वाले रवि बिश्नोई को दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मौका मिला। जब वो गेंदबाजी करने आए तो उन्होंने अपनी स्पिन का जादू दिखा दिया। उन्होंने दिल्ली कैपिटल्स के बल्लेबाज ऋषभ पंत को उलझा दिया और बोल्ड कर दिया।
वैसे लग तो नहीं रहा था कि रवि को इस पहले ही मैच में मौका दिया जाएगा। लेकिन कोच अनिल कुंबले ने भरोसा दिखाते हुए उन्हें आगाज का अवसर प्रदान किया। इस पर बिश्नोई ने कमाल कर दिया और खतरनाक बल्लेबाज ऋषभ पंत का विकेट लेकर दिया। तो साथ ही 4 ओवर की गेंदबाजी में केवल 22 रन ही खर्च किए।
एकेडमी के निर्माण के लिए खुद बने मजदूर
रवि बिश्नोई को नीलामी में किंग्स इलेवन पंजाब की फ्रेंचाइजी ने 2 करोड़ की राशि में अपना बनाया। क्रिकेट खेलने के लिए रवि ने काफी जतन किए। उन्होंने इसके लिए तो मजदूरी तक की। जोधपुर के रहने वाले रवि बिश्नोई ने वहां पर एक क्रिकेट एकेडमी बनाने के लिए खुद मजदूर के रूप में पसीना बहाया।
दरअसल जोधपुर में रवि बिश्नोई ने अपने दो दोस्त प्रद्योत सिंह और शाहरुख पठान के साथ मिलकर एक एकेडमी का निर्माण कराया। एकेडमी बनाने के लिए इनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। ऐसे में वहां पर निर्माण कार्य में खुद ही मजदूरी की। जिसके बाद एकेडमी तैयार हुई।