एक ऐसा युवा खिलाड़ी जिसकी तुलना अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दार्पण करने से पहले ही दिग्गज खिलाड़ियों से होने लगी. कई क्रिकेट पंडितों ने कहा कि आगे का सुपर स्टार वही खिलाड़ी है. हम बात कर रहे हैं, होनहार प्रतिभाशाली खिलाड़ी ऋषभ पन्त की. आज ऋषभ पन्त का जन्मदिन है.
ऋषभ पन्त का जन्मदिन 4 अक्टूबर को 1997 को उत्तराखंड के हरिद्वार में हुआ था. ऋषभ का सफ़र आसान नही रहा है. बल्कि खाना भी भंडारे और लंगर में खाकर गुजरा किया है. ऋषभ पन्त को 2 साल पहले तक कोई भी नही जानता था लेकिन आज वह धोनी की जगह लेने के सबसे प्रबल दावेदार माने जाते हैं. आखिर कैसे हुआ इतना बड़ा परिवर्तन.
इस तरह बदल गया समय-
ऋषभ पन्त 2016 तक गुमनाम थे. लेकिन इसी साल खेले गए अंडर-19 विश्व कप में इस भारतीय खिलाड़ी ने दमदार प्रदर्शन करते हुए 44.50 के औसत से 267 रन बनाए. बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने नेपाल की टीम के खिलाफ इस टूर्नामेंट का सबसे तेज़ अर्धशतक भी जड़ा. इसी वजह से आइपीएल में दिल्ली की टीम ने इस उभरते हुए खिलाड़ी को इसके बेस प्राइज से 19 गुना ज़्यादा कीमत में खरीदा. दिल्ली की टीम ने 10 लाख की बेस प्राइज वाले ऋषभ पंत को 1.9 करोड़ रुपये खर्च कर अपनी टीम का हिस्सा बनाया.
कभी लंगर में खा कर गुजारा दिन-
इससे पहले की कहानी एकदम अलग थी. भारत की तरफ से दो टी-20 मैच खेल चुके पंत के लिए ये राह आसान नहीं थी. यहां तक पहुंचने के लिए ऋषभ ने गुरुद्वारे में रातें बिताईं और लंगर में खाना खाया.
उत्तराखंड से दिल्ली पहुँचे पन्त-
क्रिकेट का ककहरा सोनेट क्लब के कोच तारक सिन्हा ने पन्त को सिखाया. तारक ने रमन लांबा, आकाश चोपड़ा, आशीष नेहरा, शिखर धवन सहित दर्जनों क्रिकेटरों को तैयार किया है. तारक एक टैलेंट हंट प्रोग्राम चलाते हैं. कहीं से ऋषभ के परिवार को भी इसकी खबर लगी, तो परिवार ने ऋषभ को रुड़की से दिल्ली भेज दिया. उसमें चयनित होने के बाद ऋषभ को शनिवार और रविवार को यहां ट्रेनिंग करनी होती थी. ऋषभ के पास पैसे न होने के कारण गुरुद्वारे में रहते थे और लंगर खा कर गुजरा करते थे.
जब लगाया तिहरा शतक-
ऋषभ लगातार बेहतरीन प्रदर्शन क्कारते रहे. अंडर19 में शानदार प्रदर्शन करने के बाद ऋषभ ने गुजरात के लिए 25 गेंदों में शानदार पचास जड़ अपनी क्षमता का परिचय दिया. इसके बाद रणजी में 308 रन मारे तो झारखंड के खिलाफ 48 गेंदों में सैकड़ा जड़ दिया.