कई बार सीनियर भारतीय टीम के चयनकर्ताओं पर ये सवाल उठते रहे हैं कि वो टैलेंटेड क्रिकेटर्स को नज़रअंदाज़ कर कुछ ऐसे औसत क्रिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम में मौका देते हैं जो टीम के लिए कुछ खासा बेहतर योगदान नहीं दे पाते. ये बात कोई नई नहीं है, पहले कई बार ऐसा देखा जा चुका है कि एक शानदार क्रिकेटर को नज़रअंदाज़ कर उसकी जगह एक औसत दर्जे के खिलाड़ी को टीम में तरजीह दी गई.
मौजूदा समय में टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम में हार्दिक पांड्या की मौजूदगी को लेकर भी फ़ैंस इसी तरह के सवाल उठाते रहे हैं कि टीम मैनेजमेंट ने अपनी सोच का दायरा ही नहीं बढ़ाया नहीं तो घरेलू क्रिकेट में कई क्रिकेटर ऐसे हैं जो टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के हार्दिक पांड्या के मुक़ाबले ज़्यादा बेहतर विकल्प हो सकते थे. इसी सिलसिले में इस आर्टिकल में हम ऐसे ऑलराउंडर की बात करने जा रहे हैं जो हार्दिक पांड्या के मुक़ाबले काफ़ी बेहतरीन क्रिकेटिंग कैरेक्टर रखता है.
हार्दिक पांड्या की जगह ऋषि धवन हो सकते थे एक बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय टेस्ट ऑलराउंडर
हिमाचल प्रदेश के मंडी से तअल्लुक़ रखने वाले 31 वर्षीय सीनियर ऑलराउंडर ऋषि धवन (Rishi Dhawan) ने हिमाचल प्रदेश के लिए अपने घरेलू क्रिकेट करियर की शुरुआत 2007 में की थी. तब से अब तक वो कुल 79 फर्स्ट-क्लास मैच, 101 लिस्ट-ए और 95 घरेलू टी20 मैच खेल चुके हैं. इसके अलावा भारतीय टीम के लिए उन्होंने 2016 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी.
घरेलू क्रिकेट में ऋषि ने 79 फ़र्स्ट-क्लास मैचों में 41.13 के औसत से 3702 रन, 101 लिस्ट-ए मैचों में 35.03 के औसत से 1927 रन और घरेलू टी20 मैचों में 31.85 के बल्लेबाज़ी औसत से 1306 रन बनाए हैं. इसके अलावा गेंदबाज़ी में भी उन्होंने 308 फ़र्स्ट-क्लास विकेट, 141 लिस्ट-ए विकेट और 73 घरेलू टी20 विकेट चटकाए हैं
लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद नज़रअंदाज़ किए गए ऋषि धवन
लेतिन इतने शानदार प्रदर्शन के बावजूद ऋषि धवन (Rishi Dhawan) को सीनियर भारतीय टीम के चयनकर्ताओं ने केवल 3 वनडे और 1 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में ही मौका दिया है. लेकिन धवन (Rishi Dhawan) की क्षमता को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि वो एक भारतीय टीम के लिए शानदार टेस्ट ऑलराउंडर के तौर पर अपनी सर्विसेज़ डिलीवर कर सकते थे.
लेकिन चयनकर्ताओं ने शुरु से ही धवन को शुरु से ही नज़रअंदाज़ किया है. खैर ये पहली बार नहीं है कि किसी टैलेंटेड क्रिकेटर की जगह टीम मैनेजमेंट या चयनकर्ताओं ने एक औसत खिलाड़ी तरजीह दी. ऐसा ही कुछ ऋषि धवन (Rishi Dhawan) और हार्दिक पांड्या के सिलसिले में भी कहा जा सकता है.
टेस्ट क्रिकेट में हार्दिक का बेहद औसत दर्जे का प्रदर्शन
सीनियर ऑलराउंडर धवन (Rishi Dhawan) की जगह चौर्यासी, गुजरात के जिस 27 वर्षीय ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या को टेस्ट क्रिकेट में इतने मौके दिए गए उनका प्रदर्शन इस अहम फ़ॉर्मेट में बेहद ही औसत दर्जे का रहा है. हार्दिक ने बड़ौदा के लिए अपने फ़र्स्ट-क्लास करियर की शुरुआत 2013 में की थी.
तब से अब तक वो बड़ौदा के लिए कुल 29 फ़र्स्ट-क्लास मैचों में 30.02 के औसत से 1351 रन बनाए हैं, इसके अलावा गेंद से इन्हीं मैचों में हार्दिक पांड्या ने 30.95 के गेंदबाज़ी औसत से 48 विकेट चटकाए हैं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने भारतीय टीम के लिए कुल 11 टेस्ट खेले हैं.
इन 11 मैचों में पांड्या ने 31.29 के बल्लेबाज़ी औसत से 532 रन बनाए हैं तो वहीं गेंदबाज़ी में उन्होंने 31.05 के गेंदबाज़ी औसत से 17 विकेट चटकाए हैं.
आईपीएल को नहीं बनाया जाए टेस्ट क्रिकेट में चयन का आधार
इसलिए तुलनात्मक स्तर पर देखा जाए तो दोनों ही विभागों में ऋषि धवन (Rishi Dhawan) का प्रदर्शन हार्दिक पांड्या से काफ़ी ज़्यादा और बेहतर है. इसके अलावा वो हार्दिक से अनुभव में काफ़ी सीनियर हैं और उनसे ज़्यादा बेहतर तरीके से परिस्थितियों को टैकल करना जानते हैं. इसलिए हार्दिक का चयन टीम मैनेजमें की सोच पर सवाल तो उठाता है.
केवल स्टारडम, ग्लैमर और आईपीएल की चमक-दमक को कभी भी टेस्ट क्रिकेट में चयन का आधार नहीं बनाना चाहिए क्योंकि इसके फ़ेल्यर का सबसे बड़ा उदाहरण हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) है. इसलिए ऋषि धवन (Rishi Dhawan) को मौका न देकर सीनियर भारतीय टीम के चयनकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक क्रिकेटिंग टैलेंट को वेस्ट कर दिया.