इंडियन प्रीमियर लीग के मंच पर हर सीजन में कई युवा प्रतिभाशाली क्रिकेटर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते नजर आते हैं। इसी तरह से संयुक्त अरब अमीरात में खेले जा रहे इस सीजन में भी कई प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी देखने को मिले जिन्होंने हर किसी का दिल जीत लिया। कुछ उसी तरह से महाराष्ट्र के युवा बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड़ ने खास चमक बिखेरी।
ऋतराज ने इस सीजन में बिखेरी खास चमक
ऋतुराज गायकवड़ चेन्नई सुपर किंग्स की टीम से खेल रहे हैं, जो पिछले दो सीजन से इसी टीम से जुड़े हैं। उन्हें पिछले साल तो मौका नहीं मिला, लेकिन इस साल ऋतराज को मौका मिला और शुरुआत में उन्हें मध्यक्रम में खिलाया गया।
युवा प्रतिभाशाली बल्लेबाज ऋतुराज को शुरुआत के 3 मैचों में मध्यक्रम मे मौका दिया जहां उनके बल्ले से केवल 5 रन ही निकल सके, जिसमें दो तो 0 के स्कोर रहे। जिसके बाद धोनी ने खुद अपनी टीम के युवा खिलाड़ियों में स्पार्क की कमी बतायी।
सलामी बल्लेबाज के रूप में लगातार तीन पचासे
लेकिन इसके बाद ऋतुराज को चेन्नई सुपर किंग्स ने प्लेऑफ की उम्मीदें खत्म होने के बाद मौका दिया और सलामी बल्लेबाज के रूप में उतारा। यहां से ऋतुराज ने दिखाया क उनकी सही जगह एक सलामी बल्लेबाज की है जिसमें उन्होंने लगातार 3 पचासे जड़े।
सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरते ही ऋतुराज के बल्ले से पिछले तीन मैचों में 65*, 72 और 62* की पारियां निकली इसके बाद उनके कोच संदीप चव्हाण ने बड़ा बयान दिया। संदीप चव्हाण ने बताया कि उन्होंने ही पहली बार ऋतुराज को सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलने की सलाह दी थी।
ऋतुराज को उनके कोच संदीप चव्हाण ने दी थी ओपनिंग की सलाह
संदीप चव्हाण ने ऋतुराज गायकवड़ को लेकर कहा कि
“वो वेंगसरकर क्रिकेट एकेडमी में हमारा प्रशिक्षु थे। मुझे लगता है तब वो 16 साल के थे और जूनियर लेवल पर महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे। मुझे याद है कि मैंने ऋतुराज से क्लब मैच में पारी का आगाज करने की सलाह दी और कहा कि इससे उन्हें भविष्य में फायदा होगा।”
“वो 16 साल के थे और लोकल टूर्नामेंट (मांडके ट्रॉफी) के सीनियर लेवल के मैच में उन्होंने पारी का आगाज करते हुए 100 और 90 रन बनाकर मेरे फैसले को सही साबित किया। राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए शुरुआत में सलामी बल्लेबाज के तौर पर उसे कुछ परेशानी हुई लेकिन वो इसमें ढल गया और अब विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज है।”
“गायकवाड़ 2008-09 में 12 साल की उम्र में इस एकेडमी में शामिल हुए और उन्हें तभी पता चल गया था कि उनमें एक विशेष प्रतिभा है।”
संदीप चव्हाण ने आगे कहा कि “शुरुआत में उसके साथ तकनीक की समस्या थी लेकिन उसने अंडर-14 की जगह अंडर-19 में खेलना शुरू किया और इससे उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ा।”