कोलकता: भारत में क्रिकेट को धर्म और सचिन को भगवान माना जाता हैं. भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल हैं. क्रिकेट में सचिन अपने बल्ले से लाखो क्रिकेट फैन्स का दिल जीतते आये है, क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी सचिन की लोकप्रियता भारत में कम नहीं हुयी हैं जिसका कारण है उनका व्यवहार. खबर यह है कि भारत रत्न सचिन ने एक पश्चिम बंगाल के एक छोटे गाँव के स्कूल के लिए 76 लाख रूपए दान दिया हैं.
सचिन ने 51 वर्ष पुराने एक स्कूल के पुननिर्माण करने के लिए स्कूल की मदद की हैं. स्कूल प्रिंसिपल के निवेदन करने के बाद सचिन ने अपने सांसद कोष से “गोविंदपुर मकरमपुर स्वर्णमयी शिक्षा निकेतन” के पुनर्निर्माण के लिए 76 लाख रूपए दान दिए हैं. यह स्कूल पश्चिम बंगाल के आदिवासी गाँव मिदनापुर जिले के नारायणगढ़ थाने में आता हैं.
सचिन तेंदुलकर अपने सांसद कोष से 75% राशि खर्च कर चुके हैं, स्कूल की जर्जर हालत के सुधार के लिए स्कूल के प्रिंसिपल उत्तम कुमार मोहंती ने अपने जिले के सांसद और विधायक सबसे मदद की गुहार लगाई लेकिन उन्हें कही से कोई सहायता नहीं मिली. 10 साल लगातार नाकाम कोशिस करने के बाद मोहंती ने वर्ष 2013 में राज्यसभा संसद सचिन तेंदुलकर को पत्र लिखा.
इन्टरनेट की सहायता से प्रिंसिपल मोहंती ने सचिन तेंदुलकर की ईमेल निकाली और 13 मार्च 2013 को सचिन को पत्र लिखा.
प्रिंसिपल मोहंती ने एक प्रेस ट्रस्ट से बात करते हुए कहा “मुझे सचिन से उम्मीद नहीं थी, क्यूंकि पांच बार के स्थानिय विधायक सूर्यकांत मिश्रा और संसद प्रबोध पांडा ने मेरी कोई मदद नहीं किया.”
सचिन को पत्र लिखने के बाद मोहंती उसे भूल गए और लगभग 1 वर्ष बाद 7 अगस्त 2014 को सचिन ने जवाब दिया और प्रिंसिपल उत्तम कुमार मोहंती को आश्वासन दिया कि वह उनकी मदद करेगे.
सचिन तेंदुलकर ने पत्र का जवाब देते हुए कहा कि “आपने स्कूल में लाइब्रेरी, लेबोरेटरी और लड़कियों के रूम के निर्माण के लिये जो धनराशि की मदद मांगी थी, मैंने बांद्रा जिला आयुक्त से कहा कि वह आपकी मदद के राशि जारी कर दे. आप अपने क्षेत्र के आयुक्त से मिले, और स्कूल के पुर्निर्माण के लिए अनुमानित राशि का लेखा-जोखा उनके पास जमा करे”.
प्रिंसिपल उत्तम कुमार ने इंजिनियर की मदद से स्कूल के पुर्निर्माण के 76,21,050 अनुमानित राशि का ब्यौरा दिया.
आगे मोहंती ने कहा “सचिन 76 लाख की राशि के लिए तैयार हो गए, सब इस बात से हैरान थे कि सचिन ने इतनी बड़ी राशि के लिए हाँ कैसे कर दी, उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था. मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश था. स्कूल के पुर्नजीवन के लिए सब ज़िन्दगी भर सचिन के ऋणी रहेंगे”.
स्कूल के पुर्निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा हैं, स्कूल तैयार होने के बाद एक पट्टिका लगाई जाएगी जिस पर स्कूल के पुर्निर्माण के लिए सचिन के योगदान के बारे में लिखा होगा.