सचिन ने नहीं देखा था धोनी का विश्वकप 2011 का वो ऐतिहासिक छक्का, सहवाग को भी कर दिया था देखने से मना, लेकिन क्यों? 1

भारत में क्रिकेट को धर्मं का दर्जा दिया जाता है, लेकिन अहम बात यह है कि क्रिकेट को धर्मं का दर्जा दिया, कैसे दिया गया. उसका कारण है इसे (क्रिकेट) खेलने वालों का बेहतरीन प्रदर्शन, जिन्होंने अपने खेल से क्रिकेट को सबसे ऊपर स्थान दिलाया. भारत में कई महान खिलाड़ी हुए, ऐसे ही महान खिलाड़ियों की लिस्ट में जिसका सबसे ऊपर नाम आता है, वह नाम है सचिन तेंदुलकर का.

सचिन तेंदुलकर, जिन्होंने अपने नाम क्रिकेट के अधिकतर रिकॉर्ड अपने नाम कर डाले. हाल ही में उन्होंने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया. सचिन का एक मात्र सपना था भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतना. सचिन ने इस इंटरव्यू में वर्ल्डकप से जुड़ी हुई तमाम बातें बताई जो अभी तक अनसुनी थी और अनकही थीं.

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मैंने और सहवाग ने नहीं देखा था वर्ल्डकप फाइनल-

सचिन ने नहीं देखा था धोनी का विश्वकप 2011 का वो ऐतिहासिक छक्का, सहवाग को भी कर दिया था देखने से मना, लेकिन क्यों? 2

सचिन तेंदुलकर ने बताया, कि जब वर्ल्डकप फाइनल मुकाबला खेला जा रहा था, और भारत बल्लेबाजी कर रहा था. मै ड्रेसिंग रूम में बैठा था और मेरे बगल में सहवाग बैठा था. मैं आउट होने के बाद जैसा बैठा था वैसा ही बैठा रहा, क्योंकि उस समय पार्टनरशिप बन रही थी, सहवाग ने मुझसे कहा कि मुझे मैच देखने दो, मैंने उससे भी कहा कि यहीं बैठे रहो. अगर तुम उठे तो भारत हार सकता है.

उसके बाद जब मैंने शोर सुना तब मुझे पता चल गया, कि टीम जीत गयी है, उसके बाद सबसे पहले मैंने अपनी किट में रखे हुए भगवान को धन्यवाद कहा, उसके बाद मैं नीचे की ओर भागा.

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दरअसल सचिन तेंदुलकर का यह टोटका था, उन्होंने कहा कि हर क्रिकेटर का कोई न कोई टोटका होता है, जिसे वह मानता है भले ही वो इन बातो से इनकार करे.

मैं हर मैच से पहले रहता था नर्वस-

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सचिन से जब सवाल किया गया कि आप जिस दिन फाइनल था, उस दिन कैसा महसूस कर रहे थे?. सचिन ने कहा कि मैं हर मैच से पहले नर्वस होता था, धीरे धीरे वह नर्वसनेस मुझे आगे बढ़ने में मददगार साबित होने लगी. उसका कारण यह है कि जब मैं अपने आप को जानने लगा कि नर्वसनेस मुझे अधिक मेहनत करने में मदद करने लगी थी. इसलिए उसकी मुझे आदत सी लग गयी थी.

2007 में मैने सोच लिया था अब खेलना ही नही है-

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सचिन ने कहा, 2007 में जब हम वर्ल्ड कप से बाहर होकर घर वापस आए, तब वो समय  मेरे क्रिकेट कैरियर का सबसे निराशा और नीचे स्तर का दौर था. उस समय मैंने पूरी तरह सोच लिया था कि अब खेलना ही नही है. बस मेरा क्रिकेट यहीं से समाप्त हुआ.

इसके बाद मेरे भाई अजीत ने मुझसे कहा, अगला वर्ल्ड कप भारत में होगा. सोचों कैसा होगा जब तुम वानखेड़े में ट्रॉफी ले कर घूम रहे होगे. बस इसी बात ने मुझे फिर से मेहनत करने में लगा दिया और हमने वर्ल्ड कप जीत लिया.

prashant

PROUD INDIAN,..CRICKET LOVER...