14 सालों के लम्बे अन्तराल के बाद सचिन ने खोला वो राज जिसकी वजह से विश्वकप फाइनल हारी थी भारतीय टीम 1

साल 1983 के बाद टीम इंडिया ने साल 2011 में वनडे क्रिकेट इतिहास में दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता था. हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे पहले टीम चैंपियन बनने के करीब नहीं पहुंची थी, लेकिन हर बार वह किसी न किसी कारण से ऐसा नहीं कर पाई थी. साल 2011 में भले ही टीम ने सचिन तेंदुलकर को वर्ल्ड कप का तोहफा दे दिया हो, लेकिन खुद सचिन को एक चीज का मलाल आज भी है कि साल 2003 के वर्ल्ड कप में   भारत फाइनल में तो पहुंच गई मगर जीत नहीं पाई और सचिन का वर्ल्ड कप जीतने का सपना भी उस समय अधूरा रह गया था. अब सचिन तेंदुलकर ने 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल के बारे में एक बयान दिया है.पुणे सुपरजायंट को करना पड़ा हार का सामना, लेकिन धोनी बना गये ऐसा विश्वरिकॉर्ड जिसके आस पास भी नहीं है कोई

सचिन ने कहा कि अगर टी-20 क्रिकेट उस समय शुरू हो गया होता तो हम उस लक्ष्य को हासिल कर लेते 

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सचिन तेंदुलकर ने 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल को याद करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि यदि हम वह मैच आज खेलते तो खिलाड़ी अलग तरीके से खेलते. हम उस मैच में उत्साह से भरे थे और पहले ही ओवर से काफी उत्साहित थे. यदि उन्हीं खिलाड़ियों को आज मौका मिलता तो खेल के प्रति रवैया दूसरा होता और शायद हम वो लक्ष्य भी हासिल कर लेते”

सचिन ने आगे कहा 

सचिन ने आगे कहा “पहले स्कोर 300 से पार हो जाने पर टीमें लक्ष्य को असंभव मान लेती थीं और एक्सपर्ट भी हार लगभग तय बताने लगते थे. टी-20 क्रिकेट उस समय होता तो खिलाड़ियों का रवैया अलग होता , क्योंकि उन दिनों 359 रन बनाना मुश्किल लगता था. मगर आज के दौर में यह आसान लगता है.”

शायद ये मानना है सचिन का

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सचिन : अ बिलियन ड्रीम्स के प्रचार-प्रसार में व्यस्त सचिन तेंदुलकर अपने करियर के बारे में कई बातों का खुलासा कर रहे हैं. मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का मानना है कि छोटे फॉर्मेट के क्रिकेट ने लगभग सबकुछ बदल दिया है. उनके अनुसार टी-20 क्रिकेट के आने से वनडे में बड़े स्कोर का पीछा करने के मामले में बल्लेबाजों के रवैये में बदलाव आया है. और अगर 2003 विश्व कप के दौरान ऐसा होता तो भारत को वो मैच जीतने में मदद मिलती.मैन ऑफ़ द मैच मिलने के बाद छलका हर्शल पटेल का दर्द, बातों ही बातों में विराट कोहली पर लगाया मैच ना खिलाने का आरोप

ऐसा रहा था वो मैच

दक्षिण अफ्रीकी धरती पर खेले गए 2003 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने जबर्दस्त खेल दिखाया था. वह फाइनल में पहुंची थी. जोहानिसबर्ग में खेले गए इस खिताबी मैच में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों की ऐसी धुनाई की थी. जैसी कि आज के दौर में आप टी-20 में देखते हैं. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए दो विकेट पर 359 रन बनाए थे, जिसके जवाब में भारतीय टीम 234 रन पर आउट हो गई थी. टीम इंडिया ने लक्ष्य का पीछा करते समय लगभग पहले ही हार मान ली थी और अंत में 125 रन से हार गई थी. टीम को लगा था कि यह लक्ष्य असंभव है, जबकि टी-20 में 20 ओवर में में ही टीमें 200 से अधिक के लक्ष्य को हासिल कर लेती हैं.

vineetarya

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